टोंक सआदत अस्पताल बना आत्मा-स्थली, अस्पताल में भूत-प्रेत आत्माओं का वास,दूर दूर से आत्माओं को कैद करने आते है तांत्रिक

Firoz Usmani

टोंक (फ़िरोज़ उस्मानी)।हम 21 वीं सदी में जी रहे है,आज के वैज्ञानिक दौर में किसी अंधविश्वास पर भरोसा नही किया जा सकता।। मगर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के ऊपर अंधविश्वास हावी है। लोग सालों पहले मरे अपने परिजन की आत्मा खोजने जिला अस्पताल तक पहुंच जाते हैं। कई वर्षों से जिला सआदत अस्पताल से आत्मा ले जाने का सिलसिला चला आ रहा है। ग्रामीण इलाकों से लोग पहुँचते है और तांत्रिक क्रियाएं करते है,और आत्मा ले जाने की बात करते है।। मंगलवार को भी ऐसा ही एक और मामला देखने को मिला।। कुछ ग्रामीण लोग आत्मा लेने जिला सआदत अस्पताल पहुंच गए।और यहां 20 मिनिट तक ज्योत जलाकर तांत्रिक क्रियाएं करते रहे ..

 अस्पताल परिसर में तांत्रिक क्रियाएं

जानकारी के अनुसार कुछ लोग ग्रामीण इलाके से सआदत अस्पताल आए और प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ बीएल मीना की चेम्बर से कुछ ही दूरी पर बैठ गए और तांत्रिक क्रियाएं करने लगे,,उनके साथ एक तांत्रिक भी था जो कुछ मंत्र बुदबुदा रहा था।

एक टिन के पीपे में सिंदूर चावल और फूलमालाएं चढ़ाई हुई थी,एक ज्योत जलाकर कुछ अन्य क्रियाएं भी कर रहे थे।। करीब 20 मिनट तक यह तांत्रिक क्रियाएं अस्पताल में चलती रही,,

 तमाशा चलता रहा,लोग देखते रहे

आते जाते लोग ये तमाशा देखते रहे।। किसी ने भी इनको रोकने का प्रयास नही किया।। अस्पताल प्रशासन के लोग भी आस पास से गुजरते दिखाई दिए,लेकिन किसी ने भी उन्हें नही रोका। ,, ये सब नज़ारा देख कर मोहम्मद फरीद खान नामक व्यक्ति ने उन्हें वहां से जाने के लिए बोला।। वो लोग तब तक अपना काम करके अपना सारा सामान समेट कर चले गए,, हालांकि तब तक वह अपनी क्रियाएं पूरी कर चुके थे…ग्रामीणों ने कहा कि उनका काम हो गया है।

 नही रोकता अस्पताल प्रशासन

लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर सरकारी अस्पतालों में अंधविश्वास का यह खेल कब तक चलेगा..इससे पूर्व भी इस तरह का नज़ारा अस्पताल में देखने को मिल चुका है,,कई बार ग्रामीण इलाकों से आए लोग अपने किसी मृतक परिजन की आत्मा लेने पहुँच जाते है और यहां तांत्रिक क्रियाएं करते दिखते है,,,,बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन मूक दर्शक बना देखता रहता है।। कोई कार्रवाई अमल में नही लाई जाती और ना ही ऐसे लोगों को वहां से भगाया जाता है।

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 ये है मान्यता

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उनकी मान्यता है कि अस्पताल में किसी की असमय मौत के बाद परिवार के लोग उसी जगह से ज्योत लेने आते हैं। लोगों का मानना है कि जिसकी मौत हुई, उसकी आत्मा को घर तक नहीं पहुंचाने पर वह परिवार को परेशान करती है। ढोल के साथ ज्योत घर ले जाकर आत्मा की शांति की जाती है। इससे पूर्व भी कई बार ये नज़ारा देखने को मिल चुका है।

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Firoz Usmani Tonk : परिचय- पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षो से संवाददाता के रूप में कार्यरत हुंॅ, 9 साल से राजस्थान पत्रिका ग्रुप के सांयकालीन संस्करण (न्यूज़ टुडे) में जिला संवाददाता के रूप से कार्य कर रहा हंू। राजस्थान पत्रिका न्यूज़ चैनल में भी अपनी सेवाएं देता रहा हूं। एवन न्यूज चैनल में भी संवाददाता के रूप में कार्य किया है। अपने पिता स्व. श्री मुश्ताक उस्मानी के सानिध्य में पत्रकारिता की क्षीणता के गुण सीखें। मेरे पिता स्व.श्री मुश्ताक उस्मानी ने भी 40 वर्षो तक पत्रकारिता के क्षैत्र में कार्य किया है। देश के कई बड़े न्यूज़ पेपर से जुड़े रहे। 10 वर्ष दैनिक भास्कर में ब्यूरों चीफ रहें।