टोंक। भाजपा की ओर से कांगे्रस की राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है। इससे टोंक जिला मुख्यालय भी अछूता नहीं है। शहर में सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से करीब दो करोड़ रुपए की लगाई गई इंटर लॉकिंग टाइल्स में भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
लगातार शिकायत के बावजूद सार्वजनिक निर्माण विभाग आंख बंद किए बैठा है। मामला शहर के पोस इलका सिविल लाइन से रोडवेज डिपो मार्ग का है। जहां हाल ही में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने करीब दो करोड़ रुपए की लागत से सडक़ के दोनों ओर इंटर लॉकिंग टाइल्स कराई है।
अब जानिए भ्रष्टाचार की शुरुआत से लेकर अंत की कहानी। दरअसल यह सडक़ निर्माण के समय से ही विवादों में रही। कहीं अतिक्रमण हटाया तो कहीं प्रभावशाली लोगों पर मेहरबानी की गई। इसके बाद इंटर लॉकिंग टाइल्स का कार्य किया गया। अभी इंटर लॉकिंग टाइल्स किए महज तीन महीने ही हुए हैं कि यह कई जगह से बैठ गई।
बैठने का बड़ा कारण लापरवाही और गुणवत्तापूर्ण निर्माण नहीं करना है। सिविल इंजीनियर के मुताबिक सडक़ व इंटर लॉकिंग टाइल्स निर्माण से पूर्व सार्वजनिक निर्माण विभाग जीशीड्यूल तैयार करता है। इसमें तय होता है कि निर्माण कैसे और किस सामग्री के साथ किया जाएगा। इंटरलोकिंग में भी मापदंड तय है।
मापदंड को देखा तक नहीं अभियंताओं ने
सिविल लाइन से रोडवेज डिपो की ओर किए गए इंटर लॉकिंग टाइल्स कार्य की जांच सार्वजनिक निर्माण विभाग ने नहीं की। जहां निर्माण कार्य कर रही फर्म को लगा कि प्रभावशाली लोग रहते हैं। वहां फर्म ने इंटरलोकिंग से पहले तय मापदंड के मुताबिक खुदाई कराई।
इसमें पहले गिट्टी की पहली लेयर बिछाई। फिर उस पर नियम मुताबिक रोलर चलाया। इसके बाद सैकेेंड लेयर डाली गई और फिर से रोलर चलाया। इसके बाद इंटर लॉकिंग टाइल्स की गई, लेकिन अधिकांश जगह महज एक से डेढ़ फीट की खुदाई की और बजरी डालकर सीधे इंटरलोकिंग कर दी गई।
इस लिए जमीन में धंस गई इंटरलोकिंग
तय मापदंड के मुताबिक इंटर लॉकिंग टाइल्स नहीं करने का नतीजा यह हुआ कि महज तीन महीने में ही सेंट सोल्जर स्कूल के सामने ताल कटोरा चौराहा के समीप दुकानों के बाहर इंटर लॉकिंग टाइल्स जमीन में धंस गई। जबकि अभी तक वहां से भारी वाहन भी नहीं गुजरे हैं। हल्के वाहनों की दबाव भी इंटरलोकिंग सहन नहीं कर पाई।
जांच पर खुलेगा भ्रष्टाचार
इंटरलोकिंग कार्य में लगाई गई टाइल्स भी गुणवत्ता की जांच के कटघरे में है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय के सामने हिमालय बेकरी के सामने तो हद ही कर दी। यहां महज सडक़ किनारे झाडू लगाई और बजरी डालकर इंटर लॉकिंग टाइल्स कर दी गई। इनसब की जांच की तो टोंक में भी भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आएगा। मामले में अधिकारी भले ही गुणवत्ता का दावा कर रहे हैं। लेकिन जांच की जाए तो उनके दावे खोखले साबित होंगे।