शांति एवं अहिंसा विभाग स्थापित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य-मनोज ठाकरे

liyaquat Ali

Tonk News । जिला मुख्यालय स्थित कृषि ऑडिटोरियम में चल रहा दो दिवसीय गांधी दर्शन प्रशिक्षण शिविर मंगलवार को समाप्त हो गया। दूसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत गांधीवादी विचारक और विशिष्ट वक्ता मनोज ठाकरे, सेवानिवृत्त प्रोफेसर पीसी जैन के गांधीजी की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई।

गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला सह-संयोजक सुनील बंसल और टोंक ब्लॉक विकास विजयवर्गीय ने अतिथियों का माला पहनाकर स्वागत किया। मंच पर प्रशिक्षक रूपेंद्र सिंह चम्पावत और सुनील शर्मा भी मौजूद रहे।

विशिष्ट वक्ता मनोज ठाकरे ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गांधीजी एक पाठशाला हैं, उन्हें जितना अधिक पढेंगे उतना अधिक जान पाएंगे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी केवल देश की आजादी के लिए ही नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आजादी के लिए भी लड़े।

ठाकरे ने कहा कि गांधीवादी बनने के लिए अच्छे के साथ ही सच्चा भी बनना होगा। उन्होंने मंगल प्रभात पुस्तक में उल्लिखित गांधीजी के 11 व्रतों- सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अस्वाद, अस्तेय, अपरिग्रह, अभय, अस्पृश्यता निवारण, शारीरिक श्रम, सर्वधर्म समभाव और स्वदेशी का भी जिक्र किया।

गांधीवादी विचारक ने कहा कि गांधी दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ही मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अगुआई में राजस्थान सरकार ने शांति एवं अहिंसा विभाग की स्थापना की है, जो एक काबिले तारीफ कदम है। देश के किसी राज्य में ऐसा विभाग नहीं है।

राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां यह विभाग स्थापित किया गया है। ठाकरे ने राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 25 लाख रुपये के बीमा कवर की अत्यंत सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसी योजना के बारे में सोचना ही अपने आप में क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाएं हर व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए।

ठाकरे ने कहा कि गांधीजी ने जो 18 रचनात्मक कार्यक्रम दिए, उनमें आर्थिक समानता का भी जिक्र किया। खादी एवं ग्रामोद्योग का मकसद केवल सूत कातना नहीं बल्कि आम आदमी के हाथ में पूंजी देना था। उन्होंने कहा कि आज मास प्रोडक्शन नहीं बल्कि प्रोडक्शन बाय मास की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि गांव का कच्चा माल प्रसंस्कृत होकर ही बाहर जाए, तभी बेरोजगारी की समस्या का हल हो सकता है। गांधीजी ने महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व का मौका दिया।

गांधीवादी विचारक पीसी जैन का संबोधन गांधीजी के 11 व्रतों में से एक- शारीरिक श्रम साधना पर  केंद्रित रहा। भारतीय स्वतंत्रता का आंदोलन केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं था बल्कि वह एक बड़ा समाज सुधार आंदोलन भी था और गांधीजी इस सुधार आंदोलन के अग्रणी नेता थे।

गांधीजी कुशल चर्मकार और बुनकर भी थे। वे आटा पीसना, शौचालय साफ करने जैसे काम खुद करते थे। वे साफ-सफाई पर बहुत अधिक ध्यान देते थे। उनका मानना था कि किसान और मजदूर का जीवन ही सच्चा जीवन है।

जैन ने कहा कि गांधी के मौन से महात्मा बनने में किताबों का अहम योगदान रहा। गांधीजी दोनों हाथों से लिखने में प्रवीण थे। उन्होंने अपनी पुस्तक हिंद स्वराज दोनों हाथों से लिखी थी।

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