आसींद/ निसार अहमद शेख।जीवन को शांति से जीना है तो समभाव रखे, वैभव से शांति नही मिल सकती। अविनय से अशांति पैदा होती है। जीवन में जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता है विनय का प्रवेश बढ़ता है। तीर्थकर भगवान त्रिलोक दशा ज्ञानी होते है।
भगवान महावीर ने कभी यह नहीं कहा कि में कह रहा हू उन्होंने सदैव यही कहा कि जो अनंत ज्ञानियों ने कहा वो ही में कह रहा हू। में, मेरा यह अभिमान का सूचक है जिस व्यक्ति में अभिमान आ जाता है उसका पतन होना शुरू हो जाता है।उक्त विचार मरुधरा ज्योति कमल प्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए।
साध्वी लब्धिप्रभा ने धर्मसभा में कहा कि जिनवाणी हजारों वर्ष पूर्व भी कल्याणकारी थी और आज भी उतनी ही कल्याणकारी है। जैन धर्म पूरा विज्ञान पर आधारित धर्म है। व्यक्ति शास्त्र दृष्टि का अनुसरण करके अपना कल्याण कर सकता है। मोह, व्यसन आदि से व्यक्ति का जीवन उन्मार्ग में चला जाता है। जीवन को उन्मार्ग से सन्मार्ग पर लाने के लिए शास्त्र दृष्टि जरूरी है।
नवकार महामंत्र एक ऐसा महामंत्र है जिसको श्रद्धा से जपने से सारे कष्ट मिट जाते है। आसींद संघ द्वारा हर रविवार को नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप करके क्षेत्र में एक अनुकरणीय कार्य किया है। इस जाप में हर परिवार के सदस्य को भाग लेकर पुण्य अर्जित करना चाहिए कोई भी इससे वंचित नही रहना चाहिए।
साध्वी तरुण प्रभा, सुदर्शन प्रभा, मणि प्रभा ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। धर्म सभा में साध्वीश्री द्वारा जैन रामायण का भी वाचन किया जा रहा है जिसको श्रावक श्राविकाएं बहुत ही उत्साह के साथ श्रवण कर रहे है।
पाटन से आए श्रावक गोपाल लाल ने मधुर भजन प्रस्तुत किया। धर्म सभा में वरिष्ठ श्रावक शांति लाल बनवट, गणपत लाल सिंघवी, विजय कुमार कर्णावट, पारस मल रांका, भोपाल सिंह कोठारी, पदम कुमार कांठेड़ आदि श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।