शिक्षा विभाग- RTE से प्रवेश छलावा, अभिभावक रहे भटक, अधिकारी भी बेबस

Dr. CHETAN THATHERA

भीलवाड़ा/ डाॅ. चेतन ठठेरा।राजस्थान सरकार ने शिक्षा का कानून अधिकार के तहत गरीब तबके के बच्चों को निजी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने के एवज में फीस अन्य राशि का पुनर्भरण निजी स्कूलों को करती है ।

लेकिन इसके बाद भी निजी स्कूल संचालक बहानेबाजी कर आर टी ई के तहत अपनी स्कूलों में प्रवेश नहीं दे रहे हैं और इस साल निजी स्कूल संचालक हाई कोर्ट के का हवाला देकर आरटीई में प्रवेश नहीं दे रहे हैं जबकि हाईकोर्ट से जयपुर की 3 स्कूलों को ही स्टे मिला हुआ है ।

नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाने और आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश नहीं देने से अभिभावक स्कूलों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के ऑफिसों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है और नहीं उनकी समस्या का समाधान करने वाला कोई है यहां तक कि अधिकारी भी बेबस से नजर आ रहे हैं आखिर क्यों ?

शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) कहते हैं हर साल होने वाली प्रवेश प्रक्रिया के अनुसार इस बार भी राज्य सरकार ने निजी स्कूलों में आरटीई की लाटरी के जरिए क्षेत्र हजार बच्चों को ऑनलाइन पर भेज दिया था प्रवेश प्रक्रिया के बाद विद्यार्थियों को अपने दस्तावेज लॉटरी के अनुसार उन्हें मिली स्कूलों में जमा कराने थे और प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी थी।

लेकिन आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में अपवाद को छोड़कर अधिकांश निजी स्कूल विद्यार्थी से दस्तावेज लेने से ही इंकार कर रहे हैं जबकि सरकार द्वारा निकाली गई लॉटरी में उनका प्रवेश प्रक्रिया में नंबर आ गया ऐसे में इन विद्यार्थियों का प्रवेश अटका हुआ है और विद्यार्थी तथा उनके अभिभावक निजी स्कूलों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कार्यालयों के बीच चक्कर काट रहे हैं।

उनकी सुनने वाला कोई नहीं है कार्यालय में कभी अधिकारी नहीं मिलते और कभी अधिकारी मिलते हैं तो वह अभिभावकों को टरका देते हैं ऐसे में अभिभावक और विद्यार्थी निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कार्यालयों के बीच फुटबॉल बने हुए हैं और प्रवेश को लेकर दर-दर भटक रहे हैं ।

ऐसे में कैसे होगी शिक्षा के अधिकार के कानून की सफलता ? और कैसे मिलेगी सब बच्चों को शिक्षा ? कैसे होगी शिक्षा के अधिकार के कानून की पालना? कर आएगा कौन ? कई जगह तो शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसी निजी स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही करने में बेबस नजर आते हैं ।

सरकार की ओर से ही सही नहीं थी इसके अलावा स्टेशनरी किताबें तथा आने जाने का किराया भी म्यूजिक स्कूलों को पुनः बरौनी के रूप में दिया जाता है और विद्यार्थियों से कुछ नहीं लिया जाने के निर्देश हैं लेकिन इसके बाद भी अधिकांश स्कूल इसकी पालना नहीं कर रहे हैं।

निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को कोर्ट से स्टे होने का बहाना बनाकर प्रवेश देने से कतरा रहे हैं जबकि वास्तविकता में स्थिति यह है कि कोर्ट से स्टे केवल जयपुर की भारतीय विद्या भवन विद्याश्रम स्कूल और संस्कार स्कूल सहित तीन स्कूलों को आरटीई के तहत प्री प्राइमरी और प्रथम कक्षा में प्रवेश के लिए सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन क्रियान्वित पर इन स्कूलों की याचिका पर रोक लगाई थी।

तथा इसके 17 अन्य निजी स्कूल है बी कोर्ट में पहुंची है और याचिका दाखिल की जिनकी याचिकाओं पर अभी हाई कोर्ट ने निर्णय नहीं दिया है और सुनवाई लंबित है ।

इनकी जुबानी

आरटीई के तहत हाईकोर्ट से निजी स्कूलों द्वारा प्रवेश देने पर कोई रोक नहीं है निजी स्कूलों को आरटीई के तहत प्रवेश देना अनिवार्य है जो निजी स्कूल ऐसा नहीं करता है और शिकायत मिलती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी

श्रीमती अरुणा गारू 

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भीलवाड़ा

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम