जयपुर। भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बिना 8 आरएएस और 3 आईएएस के ट्रांसफर करके उसे वापस लेने के मामले में हुई किरकिरी के बाद मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने बुधवार को विभागों को पत्र लिखकर कड़ी चेतावनी दी है। पत्र के तहत सीएस ने आदर्श आचार संहिता की सख्ती से पालना करते हुए तबादले और तबादले के बाद जॉइनिंग-रिलीविंग बिना आयोग अनुमति के नहीं करने की सख्त चेतावनी दी है। इस सख्त आदेश के बाद माना जा रहा है कि ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी संभव है। गौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग की अनुमति के बिना नए आईएएस और आरएएस अधिकारियों को पदस्थापन और तबादले के आदेश जारी करके मंगलवार को वापस ले लिए गए थे।
इससे सरकार की खासी फजीहत हुई, जिसके बाद सीएस डीबी गुप्ता ने बुधवार को पत्र जारी करके इन दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए हैं। जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते ये निर्देश जारी कर दिए जाते और उसकी प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाती तो मंगलवार को हुई किरकिरी और फजीहत से बचा जा सकता था। दरअसल सरकार को नए आर ए एस को एसडीओ के रूप में नियुक्ति देनी थी। वहीं एसडीओ के खाली पद भरने थे क्योंकि एसडीओ सीधे-सीधे निर्वाचन कार्य से जुड़े होते हैं इसलिए इसकी मंजूरी भारत निर्वाचन आयोग से ली जानी जरूरी है। लेकिन आनन-फानन और गफलत के बीच ही कार्मिक विभाग में पहले आदेश जारी किए। फिर उसे आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया।
आचार संहिता पालना के आदेश: सीएस डीबी गुप्ता ने 7 जनवरी 2007 के आदेश का हवाला देते हुए निर्देश दिए कि इसके अनुसार ही तबादले, पदस्थापन, जॉइनिंग और रिलीविंग की पूरी प्रक्रिया अपनाई जाए।
साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि तबादले बाद जॉइनिंग, रिलीविंग आयोग की मंजूरी बिना नहीं किए जाएं। सारे तबादले, पदस्थापन, नियुक्तियां, पदोन्नति या नए कार्य आचार संहिता की पालना की सीमा में ही किए जाएं, जिससे कि बैक डेट में कार्य संपादन के आरोपों से बचा जाए।
आचार संहिता संबंधी छूट के लिए कमेटी गठित
इस कमेटी में संबंधित विभाग के एसीएस या प्रमुख सचिव या सचिव सदस्य होंगे। साथ ही जीएडी के प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल भी इसके सदस्य होंगे। यह स्क्रीनिंग कमेटी उन मामलों की समीक्षा करेगी जो नीतिगत निर्णय के लिए आयोग को भेजे जाने हैं। इसके लिए ये निर्देश दिए गए हैं कि जो भी मामले भेजने हैं, उसकी पत्रावली सीधे आयोग को नहीं भेजी जाए। साथ ही पूरे मामले टिप्पणी के साथ कमेटी को भेजे जाएं। ऐसे मामले जिनमें समय सीमा निर्धारित है, तो उस सीमा से 1 सप्ताह पूर्व कमेटी को मामले भेजे जाएं। कमेटी में जब निर्णय हो जाएगा कि मामला आयोग को भेजना है तो वह सीईओ के जरिये आयोग को भेजा जाएगा।