जयपुर । भाजपा की पहली सूची में किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी का नाम नहीं होनेे तथा नागौर से हबीबुर्ररहमान का टिकट काटने के बाद चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि भाजपा आलाकमान इस बार राजस्थान में भी टिकट वितरण में यूपी फार्मूला अपना सकता है। गुजरात में चुनावों के दौरान किसी भी मुस्लिम को पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बनाया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वोटों के धु्रवीकरण तथा मुस्लिम वोटों में पकड नहीं होने के कारण इस बार भाजपा यह कदम उठा सकती है। अगर पार्टी ऐसा करती है तो प्रदेश में मुख्यमंत्री के विश्वस्त युनूस खान के टिकट पर संकट गहरा जाएगा। इसके अलावा टिकट की दौड में शामिल अनेक मुस्लिम नेताओं के अरमान भी ध्वस्त हो जाएंगे। हालांकि पार्टी का एक धडा इसके विरोध में हैं किन्तु राज्य में दुबारा सत्ता में आने के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व यह निर्णय कर सकता है।
ज्ञात हो कि भाजपा तमाम प्रयासों के बाद भी मुस्लिम वोटों पर पकड नहीं बना पाई है। ऐसे में कांग्रेस भी मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में जुटी है। भाजपा हिंदू कार्ड खेलते हुए मुस्लिम चेहरों को टिकट नहीं देकर हिंंदुओं को अपनी ओर करने की कोशिश कर सकती है। भाजपा में युनूस खान के अलावा अमीन खान, सलावत खान, हमीद खान मेवाती टिकट की दौड में हैं।
इस बारे में सोमवार को मीडिया से बात करते हुए चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि पार्टी जिसे भी जहां उपयुक्त समझेगी उसे ही टिकट देगी और पहली सूची में ऐसा किया गया है। शेखावत से पूछा गया कि क्या दोबारा आने वाली सूची में किसी मुस्लिम प्रत्याशी का नाम देखने को मिल सकता है, तो उनका कहना था कि इसका फैसला पार्टी संबंधित दावेदार और क्षेत्र की उपयोगिता के आधार पर करेगी।