जोधपुर
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कोर्ट के आदेशों को नहीं मानना भारी साबित हो गया। मामला 24 साल पुराना एलबीएस स्कूल के शिक्षक का है जिसे नियुक्ति देने से मना करते हुए निकाल दिया गया। कोर्ट ने जोधपुर शिक्षा विभाग प्रारंभिक के अधिकारी धर्मेन्द्र जोशी और बीकानेर में कार्यरत शिक्षा निदेशक ओमप्रकाश कंसेरा की ऑफिशियल संपत्ति को कुर्क करने के आदेश दिए। जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या दो के पीठासीन अधिकारी ज्योति देवी शर्मा ने ये आदेश जारी किए।
मामले के अनुसार शिक्षक मुन्नालाल दिवाकर पावटा स्थित एलबीएस स्कूल में कार्यरत थे। वर्ष,1995 में उक्त स्कूल को शिक्षा विभाग प्रारंभिक ने सरकारी स्कूल घोषित कर दिया। स्कूल के सरकारी घोषित करने के बाद शिक्षक मुन्नालाल की बतौर सरकारी अध्यापक नियुक्ति करने से मना करते हुए विभाग ने निकाल दिया। इस पर उसने नौकरी बहाल करवाने के लिए न्यायालय में अपील भी दायर की थी। इस पर कोर्ट ने उसे सरकारी शिक्षक के रूप में बहाल करने के आदेश दिए थे।उसके खिलाफ शिक्षा विभाग ने अपील दायर की थी लेकिन न्यायालय ने डीईओ कार्यालय की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद कार्यालय की निरंतर अपीलों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,लेकिन विभाग की अपील खारिज हुई और मुन्नालाल को सरकारी टीचर नियुक्त करने के आदेश दिए। इसके बाद भी शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ने कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करते हुए मुन्नालाल को नियुक्ति नहीं दी।इस पर शिक्षक ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की,जिसमें कोर्ट ने उक्त मामले में याचिकाकर्ता को विभाग के खिलाफ इजराय पेश करने के आदेश दिए। इस पर मुन्नालाल ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 2 की अदालत में इजराय प्रस्तुत की,जिसमें पीठासीन अधिकारी ने गत शिक्षा विभाग प्रारंभिक जोधपुर और बीकानेर में कार्यरत शिक्षा निदेशक की ऑफिशियल संपत्ति को कुर्क करने के आदेश दिए।