Tonk News / Dainik reporter (रोशन शर्मा ) : राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने कहा हैं कि प्राचीन युग में भारत शिक्षा का शक्तिपीठ था, देश की पुरातन वैदिक संस्कृति में नारी और पुरूष में कोई भेद नहीं था वहीं पुरूष और स्त्री को समाज में बराबरी का स्थान प्राप्त था। उन्ळोंने कहा कि आज भारत उच्च शिक्षा में एक शक्ति बनने की तरफ बढ रहा हैं।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने बृहस्पतिवार को बनस्थली विद्यापीठ (banasthali vidyapith ) के विशेष वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कहा कि विश्व के बाजार के अनुरूप शिक्षा में व्यावहारिक तकनीकी में बदलाव की आवश्यकता हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता आधारित तकनीकी शिक्षा प्रणाली को विकसित करना होगा ताकि भारतीय योग्य युवा वर्ग अपना विकास कर सकें तथा देश के विकास में योगदान दे सकें।
राज्यपाल ने वनस्थली विद्यापीठ (banasthali vidyapith ) की विशिष्ट पंचमुखी शिक्षा प्रणाली आधारित शिक्षा की सराहना करते हुए कहा कि आज भी देश में बहुत सी बालिकाएं सामाजिक-आर्थिक विवशताओं के कारण पढ़ नहीं पाती हैं, लेकिन जो बालिकाएं पढ रही हैं वह भाग्यशाली हैं । आज धारणा है कि शिक्षा का उद्देश्य, छात्रा को नौकरी या रोजगार के योग्य बना देना है परन्तु रोजगार के साथ ही साथ चरित्र-निर्माण भी अत्यन्त आवश्यक है अच्छे चरित्रों से ही समाज और देश को बदला जा सकता है।
पंचमुखी शिक्षा प्रणाली छात्राओं को आज की विषम परिस्थितियों से लडऩे के लिए तैयार ही नही करती बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को भी बदला जा सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि पंचमुखी शिक्षा से पढऩे वाली छात्राएं ही समाज को बदलेंगी।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विज्ञान को विद्वानों ने अलग-अलग रूप में परिभाषित किया है, ज्ञानेश्वर ने ज्ञान को ब्रह्माज्ञान या आत्मज्ञान कहा है जो आध्यात्मिक अनुभवों पर आधारित है। शेष विश्व के ज्ञान को उन्होंने विज्ञान कहा है। हमें भौतिक विकास के लिए विज्ञान एवं तकनीकी की आवश्यकता है परन्तु आध्यात्मिक विकास के लिए ब्रह्मा ज्ञान की आवश्यकता है।
राज्यपाल कलराज मिश्र के बनस्थली विद्वापीठ पहुंचे तो विद्यापीठ की अध्यक्ष, प्रो. चित्रा पुरोहित, उपाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री, कुलपति प्रो. आदित्य शास्त्री, सह-कुलपति प्रो. ईना शास्त्री, कोषाध्यक्ष, प्रो. सुधा शास्त्री, छात्राओं एवं कार्यकत्र्ताओं ने स्वागत किया वहीं वनस्थली सेवा दल के बैंड ने मुख्य अतिथि को सलामी दी ।
स्वागत के पश्चात् राज्यपाल वनस्थली की मूल प्रेरणा शक्ति स्थ ‘श्री शांताबाई शिक्षा कुटीर’ का अवलोकन किया। कुलपति, प्रो.आदित्य शास्त्री ने उनको इस स्थान की महत्ता की जानकारी दी से तदुपरान्त वे वीरबाला मैदान में घुड़सवारी एवं मारूत मैदान में फ्लाइंग क्लब की गतिविधियों को देख कर अभिभूत हो गए।
साथ ही राज्यपाल ने वे विद्यापीठ के नवीनतम शैक्षिक विभागों- स्कूल ऑफ ऑटोमेशन एवं स्कूल ऑफ डिजाइन का परिदर्शन किया तथा संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा सुर मंदिर सभागार में प्रस्तुत शास्त्रीय संगीत एवं राजस्थानी लोक नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात युवा समारोह राजस्थानी लोकनृत्य दल को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। वनस्थली विद्यापीठ ने भारत देश का नेतृत्व करते हुए राजस्थानी लोक नृत्य की उत्कृष्ट प्रस्तुति देकर सम्पूर्ण विश्व में द्वितीय स्थान प्राप्त कर भारत देश को गौरवान्वित किया।
यह अन्तर्राष्ट्रीय युवा समारोह चण्डीगढ़ विश्वविद्यालय, पंजाब में आयोजित किया गया था। यह युवा समारोह भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने आयोजित किया जिसमे 27 देशों ने भाग लिया। इस दल में वनस्थली की 12 छात्राऐं सम्मिलित थी और 4 संगतकार थे। इस नृत्य की निर्देशिका प्रो. नीलम पारीक थी जिन्हें राज्यपाल ने ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।