जयपुर
प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद विधानसभा के पहले सत्र को लेकर स्पीकर कैलाश मेघवाल की आपत्ति के बाद गर्माई सियासत पर उस वक्त विराम लग गया जब राज्यपाल कल्याण सिंह ने विधानसभा सचिव को 15 जनवरी से ही सत्र बुलाने के निर्देश दिए।
राज्यपाल ने गुरूवार देर शाम मुख्य सचिव डीबी गुप्ता,महाधिवक्ता एमएस सिंघवी,लॉ सकेट्री, विधानसभा सचिव से सत्र को लेकर उपजे विवाद पर चर्चा के बाद आर्टिकल 309 के तहत विधानसभा सत्र 15 जनवरी को ही बुलाने के निर्देश दिए। राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। साथ ही विधानसभा सचिव को यह भी कहा है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष अनुमति नहीं देते है तो वे खुद सभी विधायकों को सत्र के लिए सूचित करें।
स्पीकर कैलाश मेघवाल ने गुरूवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शार्ट नोटिस पर सत्र बुलाना अवैधानिक है। सत्र आहूत करने से पहले विधानसभा अध्यक्ष से रायशुमारी नहीं की इसलिय राज्यपाल से दखल का आग्रह किया है और सत्र की तारीख पुन: निर्धारित की जाए। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार की ओर से 15 तारीख से ही सत्र बुलाने को लेकर बातचीत के सवाल पर कहा कि राज्य सरकार विशेष परिस्थितियों का हवाला देने पर सहमति दी जा सकती है।
विवाद सामने आने पर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने मामले को सुलझाने का भी प्रयास किया है। धारीवाल ने इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष मेघवाल से बात कर पूछा कि क्या नाराजगी है?.. तो मेघवाल ने नियमों का हवाला देकर वह तमाम बातें उनके सामने रखी जो ज्ञापन के जरिए राज्यपाल के समक्ष रखी है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने विधानसभा अध्यक्ष की आपत्ति पर पलटवार करते हुए कहा है कि राज्यपाल द्वारा सत्र बुलाए जाने की अनुमति देने के बाद सत्र अवैधानिक नहीं कहा जा सकता। राज्यपाल के निर्णय के ऊपर सवाल नहीं उठाना चाहिए।