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  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के मध्य जारी सत्ता संघर्ष तेज हो सकता है, पायलट सत्ता संघर्ष के लिये ढाल ढाल तो गहलोत पत्ते पत्ते पर घूम रहे है

    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के मध्य जारी सत्ता संघर्ष तेज हो सकता है, पायलट सत्ता संघर्ष के लिये ढाल ढाल तो गहलोत पत्ते पत्ते पर घूम रहे है

    Jaipur/अशफाक कायमखानी।सचिन पायलट (Sachin Pilot) मुख्यमंत्री बनने के अपने 2018 मे पहले प्रयास मे सफल नही होकर उपमुख्यमंत्री बनने की हां करने के बाद एक साल पहले दुसरे प्रयास मे असफल रहने पर प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री का पद गवांने के बावजूद पुरा एक साल चूप रहने के बाद अब अचानक पायलट का हमलावर होना। कांग्रेस राजनीति मे अंदर ही अंदर बहुत कुछ पकना बताया जा रहा है। असल मे अब सचिन पायलट(Sachin Pilot) हाईकमान को उनके द्वारा ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री रहने पर हुये समझौते को याद दिलाकर उनके द्वारा किये वादे को पूरा करवाना चाहते है।

    राजस्थान की राजनीति मे मुख्यमंत्री के रुप मे उदय होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Chief Minister Ashok Gehlot ) को सचिन पायलट(Sachin Pilot) के रुप मे लूटीयंस जोंन की गलियों की हकीकत से वाकिफ वाले नेता के रुप मे पहला चेलेंज मिला है। इससे पहले 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक गहलोत ने पार्टी के अंदर उपजे सभी चैलेंज को नेस्तानाबूद कर चुके है। गहलोत 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने को लेकर अभी तक अपने चैलेंज पायलट को राजनीतिक तौर पर घायल करके खुद मुख्यमंत्री तो बन गये एवं बने हुये है। लेकिन इस चेलेंज को अन्यो की तरह नेस्तानाबूद नही कर पाये है।

    राजनीतिक सूत्रोनुसार 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले सचिन पायलट(Sachin Pilot) के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा आम जबान पर थी। लेकिन चुनाव परिणाम बाद मुख्यमंत्री चयन के समय काफी कसमकस के बाद हाईकमान की मध्यस्थता से ढाई साल मै एवं ढाई साल तू का एक समझोता हुवा बताते। उसी समझोते को पायलट अब याद दिलाना चाहते है। वही अशोक गहलोत हर हाल मे पुरे पांच साल मुख्यमंत्री बने रहना चाहते है।

    सचिन पायलट(Sachin Pilot)  का प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद भी पायलट पूरे एक साल चुप रहने के बाद गहलोत के ढाई साल पुरे होने का इंतजार यूही नही कर रहे थे। ढाई साल पुरे होते ही पायलट व उनके समर्थक अचानक हमलावर होने के राजनीतिक मायने जो दिख रहे है वो नही होकर वो है जो दिख व बोले नही जा रहे है।

    पायलट राजनीतिक तौर पर काफी चतुर माने जाते है। पर उनका पासा अभी तक पड़ा नही है। वो जनभावनाओं को अपनी तरफ खींचने के लिये कार्यकर्ताओं की सत्ता मे भागीदारी की बात उठा रहे है। पर वो भलीभांति समझते है कि राजनीति मे वफादारी स्थाई नही होती है। शुरुआत मे उदयलाल अंजना, प्रमोद भाया, प्रतापसिंह खाचरियावास सहित कुछ विधायकों को उन्होंने अपने कोटे मे मंत्री बनाया था। मौका आने पर उनको वफादारी बदलते देर नही लगीं। अब क्या गारंटी है कि फिर कुछ विधायकों को वो मंत्री बना देगे तो वो खाचरियावास जैसे कुछ मंत्रियों का अनुसरण नही करेंगे। यह सब पायलट भलीभांति समझते है।

    कुल मिलाकर यह है कि सदी मे पहली दफा कांग्रेस हाईकमान का इतना कमजोर होने को गहलोत अच्छे से समझते है। तभी गहलोत हाईकमान पर अपनी शर्तों पर दवाब बनाकर पायलट को सत्ता से दूर किये हुये है। जबकि पायलट भी ऐसे हालात को समझ रहे बताते। लेकिन वो अपना दाव चलने से बचना कतई नही चाहते है। वो हर मुमकिन हाईकमान को अपना वादा याद दिलाते रहना चाहते है। देखना होगा कि राजस्थान कांग्रेस की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है। दिल्ली गये पायलट की मुलाकात अभी तक प्रियंका गांधी से नही हो पाई है। पायलट किसी तरह का राजनीतिक कदम उठाने से पहले प्रियंका गांधी से मिलकर अपनी बात उन तक पहुंचाना चाहते है।

  • रीट परीक्षा की तारीख का विवाद निपटेगा, सरकार ने बनाई पांच अफसरों की टीम

    रीट परीक्षा की तारीख का विवाद निपटेगा, सरकार ने बनाई पांच अफसरों की टीम

    Jaipur । राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) की तारीख (Date)में बदलाव करने की लगातार उठ रही मांग के बीच सरकार(Government) ने पांच अधिकारियों (Five officers) की एक कमेटी का गठन किया है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार यह फैसला लेगी कि इस परीक्षा की तारीख में बदलाव किया जाएगा या नहीं। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Education Minister Govind Singh Dotasara) ने पत्रकारों से बातचीत में ये जानकारी दी है।

     

    रीट की तारीख में बदलाव करने की जैन समाज (Jain Samaj) द्वारा की जा रही मांग को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने इसके बारे में विस्तार से चर्चा की है। केवल रीट ही नहीं, बल्कि कई अन्य भर्तियों के संबंध में भी बैठक में बात की गई है, क्योंकि बजट घोषणा में ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु में छूट दी गई है। इसके बाद भी कई तकनीकी बातें निकलकर सामने आई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पांच अधिकारियों की एक कमेटी बनाने का फैसला किया है।

    ये कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। इसमें रीट के साथ ही अन्य बजट घोषणाओं से प्रभावित होने वाली भर्तियों, उनके कैलेंडर, परीक्षा की तारीखों में बदलाव की बार-बार उठने वाली मांगों के चलते सरकार को जो परेशानियां उठानी पड़ती है, इन सब बातों का स्थायी समाधान कैसे निकले, इसे लेकर यह कमेटी तीन दिन में फैसला देगी। उसके बाद इस संबंध में कोई फैसला किया जाएगा।

    मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल दिसंबर में रीट 25 अप्रैल को करवाने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही जैन समाज यह मांग कर रहा है कि 25 अप्रैल को महावीर जयंती होने के कारण रीट की तारीख में बदलाव किया जाए। अब इस मांग को लेकर जैन समाज के लोग धरने पर बैठे हैं और क्रमिक अनशन कर रहे हैं। हाल ही में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने भी मुख्य सचिव निरंजन आर्य को रीट परीक्षा की तारीख बदलने के निर्देश दिए हैं।

    News Topic :REET,Date,Government,Education Minister Govind Singh Dotasara,Five officers,Jain Samaj,Chief Minister Ashok Gehlot,Minorities Commission

  • टोंक में  वैभव गहलोत को  मुस्लिम समाज  का विरोध झेलना पड़ा

    टोंक में वैभव गहलोत को मुस्लिम समाज का विरोध झेलना पड़ा

    टोंक।फ़िरोज उस्मानी) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री ओर कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत के बेटे ओर प्रदेश कांग्रेस महासचिव वैभव गहलोत को टोंक में आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में बड़ी फजीहत का सामना करना पड़ा।

    दरअसल आज शाम को पूर्व नगर परिषद चैयरमेन हाजी मो. अजमल की तरफ से आयोजित रोजा इफ्तार की पार्टी रखी गई जिसमें वैभव गहलोत भी पहुचे। रोजा इफ्तार पार्टी के लिए टोंक की शाही जामामस्जिद के नीचे इंतजाम किए गए।

    लेकिन मुस्लिमों ने इनका विरोध कर दिया। इस मौके पर रोजा इफ्तार के लिए मिठाई के पैकिट भी बांटे गए थे। आनन फानन में वहां से टेंट तंबू हटाकर काफला बाजार में इंतेजाम किया गया।

    लेकिन यहां भी मुस्लिम युवकों ने जमकर विरोध कर दिया, जिसके चलते वैभव गहलोत को वापस लौटना पड़ा। वैभव गहलोत के आने की खबर पाकर मस्जिद में पहले से एकत्रित हुए मुस्लिम समाज के युवाओं ने उनका जबरदस्त विरोध करते हुए उन्हें मस्जिद से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

    https://youtu.be/1cQ9b4dcfxE

    वापिस जाओ के नारों के बीच कई लोगों ने विरोध कर रहे युवाओं को समझाने की कोशिश की लेकिन आक्रोशित युवाओं के आगे किसी की नहीं चली। विरोध कर रहे युवाओं ने आरोप लगाए कि छावनी मस्जिद कांड सहित टोंक में कई बार अल्पसंख्यकों के साथ प्रताडऩा की घटनाएं हुईं लेकिन अल्पसंख्यकों से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई स्टैंड नहीं लिया।

    इसी बात सहित कई आरोप लगाते हुए युवाओं ने इफ्तार पार्टी में शामिल होने आए कांग्रेस के प्रदेश महासचिव को रोजा इफ्तार पार्टी से बेरंग वापिस लौटा दिया।

    इस घटना के बाद से अल्पसंख्यक बाहुल्य टोंक विधानसभा सीट पर कांग्रेसी नेताओं की इस तरह की फजीहत के बाद जबरदस्त खलबली मच गई है, जिला कांग्रेस के अंदरखाने कई तरह की चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। सबसे हैरत करने की बात ये है कि वैभव गहलोत के आने की खबर किसी भी कांग्रेसी नेता को नही थी।