काव्य के देवता “मीर’ पर लिखी किताब का विमोचन टोंक जिला कलक्टर सौम्या झा करेंगी,लेखक साहित्यकार सुजीत सिंहल ने लिखी है किताब

Sameer Ur Rehman

टोंक । टोंक जिला कलक्टर सौम्या झा आज कलेक्ट्रेट सभागार में साहित्यकार सुजीत कुमार सिंहल उर्दू शायरी के सरताज शायर ‘मीर तक़ी मीर’ पर लिखी किताब का विमोचन करेंगी।

विदित रहे, ‘मीर’ दुनिया के अकेले शायर है जो तमाम उम्र परेशान हाल रहने के बाद भी मोहब्बत लिखते रहे। जो अशआर उनकी कलम से लिखे गए उस मैयार तक आज तक कोई शायर नहीं पहुँच पाया। खुदा ए सुखन मीर को इसीलिए कहा जाता है।

सिंहल अपनी किताब में लिखते हैं कि अगर शायरी की दुनिया अदब की ज़मीन पर बसी एक बस्ती है तो मीर इस बस्ती के बादशाह हैं। मीर के अधिकतर शेर इस कदर मानीखेज़ हैं कि उनको एक्सप्लेन करते-करते आप कई साल नॉवेल लिखते रहिए पर वो मुकम्मल नहीं हो सकते।मीर के शेरों में कायनात छिपी है।

शायरी के कद्रदान और अदब नवाज़ लोगों में यह किताब कितनी प्रशंसा प्राप्त करती है या नही करती यह वक़्त साबित करेगा पर यह पहली बार है जब टोंक के किसी लेखक ने मीर की शायराना हैसियत पर ही नही बल्कि एक हिस्टोरियन के नाते भी शोधपूर्ण विवेचना की है।

Advertisement

मीर तक़ी मीर अपनी बर्बादी का कारण हमेशा नादिरशाही आक्रमण को मानते रहे। सिंहल ने अपनी किताब में नादिरशाह के दिल्ली में किये गए कत्ल ए आम और लूट पर भी पन्ने खर्च किये हैं।

S.C.G.C.I SCHOOL TONK
ADVERTISEMENT

इसके अलावा किताब में उर्दू भाषा और उर्दू शायरी की शुरुआत से लेकर उर्दू शायरी को संरक्षण देने वाले बादशाहों और नवाबों का भी ज़िक्र है। यहाँ गौरतलब है सिंहल ने अपनी किताब में कुछ और महत्वपूर्ण विषयों पर कलम की रोशनाई बिखेरी है। उन्होंने देवनागरी भाषा की उत्पति जिले की नगरफ़ोर्ट तहसील को बताने की कोशिश की है। हालांकि इसको लेकर ये उनके अपने विचार हैं पर उन्होंने जो संक्षिप्त प्रमाण दिये हैं वो गौर किये जाने काबिल हैं।

मीर पर किताब लिखने की प्रेरणा के बारे में सिंहल बताते हैं कि एक बार कहीं उन्होंने पढ़ा एक अच्छा शायर बनने के लिए सेंसेटिव होना और ज़माने की तल्ख और मधुर सच्चाइयों पर नज़र रखना ज़रूरी है मगर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है की आप मीर और गालिब के लिटरेचर को घोल कर पी जाए। मेरे लिए मीर में दिलचस्पी पैदा होने की यह वज़ह पर्याप्त थी। दूसरी वज़ह मेरे घर का अदबी माहौल रहा।

टोंक में अदबी खिदमात की अद्भुत नज़ीर है सिंहल परिवार

टोंक इल्मों अदब का गहवारा और शायराना तहज़ीब का रियासती दौर से प्रमुख केंद्र रहा है। सभी नवाबीन अपने शासनकाल में देश भर से विद्वानों को टोंक में रिहायश और सम्मानजनक ओहदे देते रहे हैं। 19 वीं सदी के आखिरी दशक में नवाब इब्राहिम अली खां ने मथुरा से लाला मुरलीधर अग्रवाल को यहाँ ला बसाया। मुरलीधर जी का उर्दू अरबी फ़ारसी में महारत के साथ शायराना तहज़ीब में खासा दखल था।

टोंक में सन् 1905 में जन्में रामनिवास अग्रवाल नदीम उन्ही के पुत्र थे। नदीम पहले गैर मुस्लिम शख्स रहे जिन्होंने उर्दू फ़ारसी में एम ए किया। साहबजादान को तालीम दी। आप का शुमार बेहतरीन शायरों में होता है। नस्र और पद्ध में कई किताबें लिखी और सरकारी सेवा में रहते उपनिदेशक पुरातत्व विभाग के ओहदे से रिटायर हुए। नदीम के तीसरी संतान के तौर पर हनुमान सिंहल का जन्म हुआ। सिंघल साहब ने एक दर्ज़न से ज्यादा किताबें लिखी।

पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। सामाजिक संगठनों की नींव डालने के साथ कई व्यवस्थाएँ टोंक को दी। उनके दौर में कला साहित्य संस्कृति को भरपूर प्रोत्साहन मिला। मीर तक़ी मीर पर किताब लिखने वाले सुजीत सिंहल उन्हीं के सुपुत्र हैं। सुजीत सिंघल अब तक ख्यालों के कारवां, टोंक जो एक शहर है, गुज़रा हुआ ज़माना जैसी लोकप्रिय किताब लिख चुके हैं। मीर तक़ी मीर उनकी चौथी किताब है।

Share This Article
Follow:
Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/