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राजस्थान में सरकार तो डबल इंजन की लेकिन सरकारी स्कूलें और कार्यालय अभी भी बिना इंजन के चल रहे हैं ,कैसे सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता - Dainik Reporters

राजस्थान में सरकार तो डबल इंजन की लेकिन सरकारी स्कूलें और कार्यालय अभी भी बिना इंजन के चल रहे हैं ,कैसे सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता

Dr. CHETAN THATHERA
5 Min Read

जयपुर। राजस्थान में भाजपा के नेता लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव सभी में अपने भाषणों में सार्वजनिक तौर पर कर रहे हैं कि डबल इंजन की सरकार अब होगा प्रदेश और देश का विकास लेकिन आश्चर्य की बात है की डबल इंजन की सरकार तो राजस्थान में बन गई परंतु राजस्थान का सबसे बड़ा विभाग शिक्षा विभाग का हाल बड़ा खराब है प्रदेश की सरकारी स्कूल है और कार्यालय बिना इंजन के चल रहे हैं अर्थात बिना अधिकारियों के और बिना प्रिंसिपल व्याख्याताओ के संचालित हो रहे हैं ऐसे में प्रदेश में शिक्षा में गुणवत्ता कैसे आ सकती है ?

राजस्थान में सरकार बदलने और भाजपा की सरकार आने के बाद शिक्षा विभाग को छोड़कर सभी विभागों में तबादलों की भरमार हुई थी और जमकर तबादले हुए थे लेकिन शिक्षा विभाग में शिक्षा विभाग के मंत्री मदनलाल दिलावर ने बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देते हुए तबादले नहीं करके प्रदेश के सबसे बड़े विभाग की कार्मिक और अधिकारियों के मानसूबों पर पानी फेर दिया था।

वर्तमान में शिक्षा विभाग का हाल बहुत ही दयनीय स्थिति में है । भीलवाड़ा जिले के हालात यह है कि जिले में 14 ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों के कार्यालय हैं और 14 ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों के साथ-साथ 28 अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों के पद सर्जरी दें और जिला मुख्यालय पर जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मुख्यालय तथा जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के कार्यालय भी हैं लेकिन आश्चर्य की बात है कि जिला मुख्यालय पर स्थित जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मुख्यालय का पद और जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय प्रारंभिक का पद लंबे समय से खाली पड़ा है।

जो की सबसे बड़ा महत्वपूर्ण पद माने जाते हैं और इन दोनों पदों पर लंबे समय से कोई नियुक्ति नहीं है जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक में तो अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी का पद तक रिक्त है ऐसे में विभाग की योजनाओं गतिविधियों का क्रियान्वयन कैसे समय पर हो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।

इसके अलावा भीलवाड़ा जिले में आसींद हुरडा और रायपुर ब्लॉक को छोड़कर से सभी 11 ब्लॉक में सीबीईओ के पद खाली पड़े हैं तथा बदनोर में तो एसीबीईओ के दोनों पद खाली पड़े हैं बिजोलिया में भी एसीबीईओ दोनों पद खाली है करेड़ा और कोटडी मे भी एसीबीईओ के दोनो पद खाली है मांडलगढ़ में एसीबीईओ का एक पद खाली है रायपुर में दोनों पद खाली है सहाडा एक पद खाली है शाहपुरा में भी एक पद खाली है और सुवाणा में भी एक पद खाली है ।

इसके अलावा जिले में प्रिंसिपल के 669 पद स्वीकृत है इनमें से 230 स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं तथा जिले मैं 2255 व्याख्याता के पद स्वीकृत है इनमें से स्कूलों में 445 व्याख्याता के पद खाली पड़े हैं इसी तरह वाइस प्रिंसिपल के 471 स्वीकृत पदों में से 457 पद खाली पड़े हैं तो एक जिले की स्थिति है कमोबेश यही स्थिति प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों की है।

ऐसी स्थिति में कैसे विभाग का काम संचालित होगा और कैसे स्कूल चलेगी अर्थात स्कूलों के इंजन प्रिंसिपल और कार्यालय के इंजन अधिकारियों को माना जाता है जब कार्यालय और स्कूलों में इंजन ही नहीं है तो ट्रेन कैसे चलेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।

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वर्तमान शैक्षणिक सत्र 16 में को समाप्त हो जाएगा और 1 जुलाई से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। क्या नया शैक्षणिक सत्र भी बिना इंजन के ही चलेगा ? क्या नए शैक्षिक सत्र शुरू होने से पहले राजस्थान की भाजपा सरकार और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर प्रदेश के शिक्षा विभाग के कार्यों में अधिकारों के खाली पड़े पद और स्कूलों में प्रिंसिपल और व्याख्याताओ तथा शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरेंगे ?

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इसको लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं दिए गए हैं अगर यही हाल रहा तो खाली पड़े पदों की अभाव में अच्छी शिक्षा की कल्पना बेकार है और सरकार के शिक्षा विभाग योजनाओं का क्रियान्वयन समय पर हो यह भी मात्र एक कागजी कल्पना है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम