विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान रोडवेज बसों
जयपुर
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान रोडवेज बसों के संचालन को लेकर पूछे गए सवालों पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा शासन में रोडवेज का बंटाधार हो गया। अब हम इसे ठीक करेंगे। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि बंद किए गए रूट पर फिर से बसें संचालन को लेकर सरकार गंभीर है। पिछली सरकार में बेवजह बंद किए गए रोडवेज के संचालन मार्गों का परिवहन विभाग और रोडवेज के अधिकारियों से सर्वे कराया जा रहा है।
गांव जो बसोंं से नहींं जुड़े हैं
सरकार का प्रयास है कि जिन मार्गों पर बसें नहीं चल रही हैं और ऐसे गांव जो बसोंं से नहींं जुड़े हैं, उन्हें बस सेवा से जोडऩे के लिए रोडवेज की वित्तीय स्थिति को देखते हुए ठोस योजना बनाई जाए। साथ ही रोडवेज की स्थिति को सुधारने के लिए भी गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिवाना (बाड़मेर) में रोडवेज की बसें पुराने बस स्टैण्ड से करीब 100 मीटर दूर से संचालित की जा रही हैं क्योंकि कुछ वर्ष पूर्व यहां एक बालिका की दुर्घटना में मृत्यु के बाद जनविरोध हुआ था। इसके बाद यहां बसों का संचालन कुछ दूरी बढ़ाकर आगे से शुरू कर दिया गया था।
प्रदेश में सभी स्थानों पर पुलिस गश्त
नगरीय विकास मंत्री शांतिलाल धारीवाल ने बताया कि प्रदेश में सभी स्थानों पर पुलिस गश्त लगातार चलती रहती है, चाहे पुलिसकर्मी थानों से लिए जाए या पुलिस लाइन से। उन्होंने कहा कि यदि कुछ स्थानों पर गश्त नहीं होने की शिकायतें आती हैं तो उन पर भी कार्रवाई की जाती है। प्रश्नकाल में गृह मंत्री की ओर से उत्तर देते हुए उन्होंने बताया कि राजस्थान पुलिस थानों में जनवरी,2019 में 2 लाख 46 हजार 112, फरवरी 2019 में 2 लाख 40 हजार 914, मार्च 2019 में 2 लाख 25 हजार 919, अप्रैल 2019 में 2 लाख 55 हजार 961,मई 2019 में 2 लाख 51 हजार 902 लीटर डीजल खर्च हुआ है। उन्होंने बताया कि थानों पर डीजल खर्च के संबंध में कोई मानदंड निर्धारित नहीं है।
ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने बताया कि प्रदेश में संविदा कर्मियों के विषय में मंत्रिमंडलीय समिति की दो बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। संविदा कर्मियों की समस्याओं का पूर्ण अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी बातों का अध्ययन करके ही कोई निर्णय किया जाएगा। कल्ला ने प्रश्नकाल के दौरान वित्त मंत्री के रूप में विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि पिछली सरकार ने भी संविदाकर्मियों के लिए एक समिति बनाई थी,लेकिन पांच साल होने के बाद भी कोई निर्णय नहीं किया। उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार के समय लगभग तीन महीने आचार संहिता लगी रही फिर भी अब तक समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं।