शिक्षा विभाग कोटडी गबन मामला – सहायक लेखाधिकारी ने बचने के लिए मांगी ऐच्छिक सेवानिवृत्त, अब शिक्षा निदेशालय ….

CGST action on cloth traders in Bhilwara, theft of lakhs caught

Bhilwara News । जिले के कोटड़ी उपखंड स्थित शिक्षा विभाग के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय सीबीईओ तथा सीबीईओ के अधीनस्थ 2 स्कूलों में फर्जी शिक्षक बनाकर काल्पनिक आधार पर वेतन बिल बना कर 2.15 करोड के गबन मामले मे संदेह के दायरे मे  समग्र शिक्षा अभियान संसद के तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी ने अपनी सेवानिवृत्ति से पूरी ही ऐच्छिक सेवानिवृत्त के लिए आवेदन करते हुए ऐच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है ।

विदित है की इस गबन मामले में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी भीलवाड़ा ब्रह्मा राम चौधरी द्वारा कराई गई।

विस्तृत जांच में सामने आया था कि सीबीईओ कार्यालय से वेतन बिल निरीक्षण के लिए समसा में तत्कालीन सहायक लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट और सेवानिवृत्त सहायक लेखा अधिकारी जो सेवानिवृत्ति के बाद संविदा पर थे गोपाल कृष्ण बियानी ने किए थे । इन दोनों ने करीब 1 करोड़ से अधिक बिलो का निरीक्षण कर अपने हस्ताक्षर किए हैं ।

जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि सीबीईओ कार्यालय से बिल निरीक्षण के लिए समसा में आए लेकिन इन्होंने बिल यहां मंगवाए थे ।

सहायक लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट सन 2014 से लेकर 2018 तक समसा में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर नियुक्त थे और इस दौरान इन्होंने यह बिल चेक किए थे ।

जांच रिपोर्ट में भट्ट और बियाणी की इस गबन में मिलीभगत और संलिप्तता संदेह के दायरे में मानी है । वर्तमान में दिनेश भट्ट वन विभाग भीलवाड़ा में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं।

जांच से बचने के लिए मांगी ऐच्छिक सेवानिवृत्त

समसा से तबादले के बाद वन विभाग में कार्यरत सहायक लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट ने अपनी सेवानिवृत्त का समय 30 नवंबर 2021 है लेकिन जांच से बचने के लिए सेवानिवृत्ति से 1 माह पूर्व ही अर्थात 31 अक्टूबर को ही ऐच्छिक सेवानिवृत्ति मांगते हुए आवेदन कर दिया है । इस आवेदन में भट्ट ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति का कारण परिवार के साथ समय व्यतीत करना बताया है ।

लेकिन सवाल यह उठता है कि जब उनकी सेवानिवृत्ति 30 नवंबर को ही है तो 1 माह पूर्व उन्होंने सेवानिवृत्त क्यों मांगी ? क्या उनको भय है कि इस जांच में फंस जाएंगे तो उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी रुक जाएगी ?

नियम क्या है

किसी भी सरकारी कार्मिक अधिकारी की सेवानिवृत्त होने या सेवानिवृत्ति लेने से पहले वित्त विभाग की ओर से एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है ।

जिसमें उल्लेख होता है कि इनके खिलाफ कोई जांच नहीं है अथवा कोई जांच प्रस्तावित भी नहीं है । ऐसा उल्लेख होने पर ही उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी की राशि उन्हें मिलती है और अगर जांच प्रस्तावित है अथवा जांच चल रही है तो उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी रोक दी जाती है ।

क्या शिक्षा निदेशालय लिखेगा…

सहायक लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट वर्तमान में वन विभाग में नियुक्त हैं और वही से उनकी ऐच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन वित्त विभाग को और संबंधित विभाग को भेजा गया है ।

लेकिन सन 2014 से 2018 तक शिक्षा विभाग में नियुक्त रहते हुए उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने बिल चेक किए थे और जांच टीम ने भी भट्ट को संदेह के दायरे में माना है ।

ऐसे में अगर शिक्षा निदेशालय वित्त विभाग को एक पत्र लिखता है कि इनके खिलाफ जांच प्रस्तावित हो सकती है तो वित्त विभाग उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी रोक देगा और इससे शिक्षा विभाग को भट्ट के सहयोग से गबन की राशि वसूली करने में सहायता मिल सकती है ?

इनकी जुबानी

सहायक लेखा अधिकारी दिनेश भट्ट ने एक माह पूर्व ऐच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है और ऐच्छिक सेवानिवृत्त के लिए होने कारण अपने परिवार के साथ समय बिताना बताया । हमने उनके ऐच्छिक सेवानिवृत्त के आवेदन को फॉरवर्ड करके आगे भेज दिया है।

डी पी जागावत
जिला वन अधिकारी(डीएफओ)
भीलवाडा