Jaipur News। राजस्थान के 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में हाल ही कराए गए चुनावों के परिणामों ने सत्तारूढ़ दल कांग्रेस तथा विपक्षी दल भाजपा के शीर्ष नेताओं का तनाव बढ़ा दिया है। निकाय चुनावों के बाद अब राज्य में सुजानगढ़, सहाड़ा, वल्लभनगर तथा राजसमंद विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। इन चार सीटों के अंतर्गत 5 निकायों में से 4 में मतदाताओं ने निर्दलीय उम्मीदवारों को सत्ता की चाबी सौंपी है। इन चार सीटों में से 3 सीटें कांग्रेस के पास थी, जबकि राजसमंद की सीट भाजपा के कब्जे में थी।
प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में कांग्रेस ने 48 और बीजेपी ने 37 निकायों में अपना बोर्ड बनाया है। इसके बाद अब कांग्रेस और भाजपा की नजरें उपचुनावों पर हैं। अब 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से 3 सीटें कांग्रेस के पास थी। ऐसे में कांग्रेस के सामने उन तीनों सीटों को बचाने की चुनौती होगी। सहाड़ा विधानसभा की गंगापुर नगर परिषद में कांग्रेस ने अपनी रणनीति से भाजपा को बड़ा झटका दिया है। गंगापुर में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था, बावजूद इसके कांग्रेस ने निर्दलीय को साथ लेकर भाजपा के खेमे में सेंध लगा दी और निर्दलीय उम्मीदवार को निकाय प्रमुख बनवा दिया। ऐसे में जहां भाजपा उपचुनाव वाले क्षेत्रों में दो निकाय प्रमुख बना सकती थी, वहां उसे सिर्फ एक निकाय से ही संतुष्ट होना पड़ा।
पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के चलते सुजानगढ़ सीट खाली हुई है। सुजानगढ़ में सुजानगढ़ नगर नगर परिषद और बिदासर नगर पालिका में चुनाव थे। सुजानगढ़ नगर परिषद में तो कांग्रेस ने अपना सभापति बना लिया, लेकिन बिदासर नगर पालिका में भाजपा बाजी मार गई। सुजानगढ़ और बिदासर दोनों ही जगह भाजपा और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। यहां दोनों पार्टियों को निर्दलीयों का आसरा था।
सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी। निकाय चुनाव में सहाड़ा विधानसभा के अंतर्गत गंगापुर नगर पालिका में चुनाव थे। यहां भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला, लेकिन कांग्रेस ने रणनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए भाजपा के खेमे में सेंध लगा दी और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव में जीत मिल गई। गंगापुर में जिस तरीके से भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है, उससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करारा झटका लगा है। यहां जनता ने वोट ना देकर कांग्रेस को नकारा, फिर भी उसका बोर्ड बना, यह भी पार्टी के लिए सुखद नहीं है।
सचिन पायलट के करीबी विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद खाली हुई वल्लभनगर विधानसभा सीट के तहत भिंडर नगर पालिका में चुनाव थे, जहां मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा, दोनों को नकार दिया और निर्दलीय को सत्ता की चाबी सौंप दी। वल्लभनगर में जनता सेना किंगमेकर बनी है।
राजसमंद विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं। यहां निकाय चुनावों में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत लाकर सभी को चौंका दिया। राजसमंद सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। ऐसे में यहां भाजपा के लिए अपना गढ़ बचाना बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस के लिए ये सीट भाजपा से छिनना भी आसान नहीं होगा।