डॉ. पूनियां ने कहा कि राष्ट्रपति व राज्यपाल को लेकर मुख्यमंत्री के शब्दों का चयन और उनकी भाव-भंगिमा असंसदीय व लोकतंत्र को कमजोर करने वाली है। यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री ने माननीयों के खिलाफ बयानबाजी की हो, इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडिया के सामने लोकतंत्र की मर्यादाओं को तार-तार करते हुए कहा था कि अगर जनता राजभवन घेर लेती है, तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी। माननीयों के खिलाफ लगातार ऐसी बयानबाजी करके अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद की गरिमा को गंभीर ठेस पहुंचा रहे है।
डॉ. पूनियां ने कहा कि बेहतर होता कि मीडिया से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री गहलोत पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने, बिजली दरों में कमी करने, किसानों की कर्जमाफी करने, भ्रष्टाचार पर कोई ठोस नीति अपनाने और राज्य में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करते और नये विकास कार्यों की घोषणा करके जनता को लाभान्वित करने का प्रयास करते। गहलोत द्वारा आपसी विद्रोह व अंर्तद्वंद्व से जूझती कांग्रेस सरकार को नहीं संभाल पाने का ठीकरा एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर फोड़ना उनकी हताशा व कुंठा को प्रदर्शित कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर उपलक्ष्य में आयोजित मीडिया संवाद कार्यक्रम मंर मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार पर हमला बोला और भाजपा नेताओं पर राजस्थान में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के आरोप भी लगाए थे।