Tonk News / Dainik reporter (फिरोज़ उस्मानी) – आज से 202 साल पहले ही टोंक रियासत की विधिवत स्थापना हुई थी। मो.अमीरूद्दोला अमीरूल मुल्क नवाब मो.अमीर खां पहले नवाब बने। नवाब अमीर खां को हिन्दु -मुस्लिम भाईचारे की बेहतरीन मिसाल के लिए भी जाना जाता है।
उनके भाईचारे की मिसाले टोंक में आज भी मौजूद है। जहां उन्होने मस्जिद का निर्माण कराया तो मंदिर का निर्माण भी कराया। पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाला टोंक के इतिहास पर नजर डाले तो जब पूरे भारत में अग्रेंजों का आतंक था। उस समय नवाब अमीर खां के आगे अग्रेंज भी नममस्त थे। उनकी बहादूरी व दिलेरी से खौफ खाकर अग्रेंजो ने उनसे संधि की।
यही वजह थी कि अग्रेंजो ने जो संधि क्षैत्र में दिया वो बिखरा और काफी दुरियों पर था। नवाब अमीर खां की जसंवत राव होल्कर से घनिस्ठ मित्रता थी। उन्होने अग्रेंजों से संधि के लिए लाला निंरजन राय को भेजा ।
9 नवबंर 1817 को अग्रेजों से संधि प्रक्रिया शुरू हुई। जो की संधि के तहत उनको टोंक के अलीगढ़, सिंरोज, छबड़ा, निम्बहेड़ा, परगनाथ, दिए। 15 नवंबर 1817 को टोंक की विधिवत स्थापना हुई। नवाब अमीर खां संभल मुरादाबाद सराय तरीन में सन 1768 में पैदा हुए। 1798 में वो टोंक आए। 1806 में उनका टोंक पर अधिकार हो गया। 15 नवबंर 1817 में वो टोंक के नवाब बने।
हिन्दु मुस्लिम एकता की मिसाल
अमीर खां ने अपना पहला मुंशि बसावनलाल शांदा को बनाया। जिसमें सेनापति लाल बहादूर उनकी ओर से कई युद्ध लड़े। नवाब अमीर खां ने जंहा जामा-मस्जिद की नींव रखी वही उन्होने तख्ते में रघुनाथ जी के मंदिर के लिए कार्य शुरू करवाया। बरहाल करीब 131 वर्ष तक टोंक रियासत में नवाबी शासक रहे। जो एकता भाईचारे की मिसाल के साथ ही दूनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। अरबी फारसी शौध संस्थान व सुनहरी कोठी की पहचान आज भी दूनिया में कायम है।
टोंक नवाबों का शासन काल
- प्रथम नवाब अमीर खां 1817 से 1834
- दूसरे नवाब वजीरूद्दोला 1834 से 64
- तीसरे नवाब मो.अली खां 1864 से 67
- चौथे नवाब इब्राहिम अली खा़ 1867 से 1930
- पांचवा नवाब सआदत अली खा़ 1930 से 1947 तक
- छटें नवाब फारूख अली खां 1947 से 1948
- सातवें नवाब इस्माईल अली खां 14 फरवरी से 1 मई 1948 तक