जयपुर।
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति अब उसके प्रत्याशियों पर ही भारी पड़ने लगी है। कांग्रेस के दिग्गजों को घर में ही बांधे रखने के लिए खेला गया भाजपा का दांव अब उसी पर भारी पड़ने लगा है इसके कारण कई भाजपा नेताओं का राजनीतिक भविष्य भी संकट में पड़ गया है।
सबसे पहले बात करते हैं तो टोंक विधानसभा सीट पर यहां मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे सचिन पायलट को घेरने के लिए भाजपा ने अपने एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार यूनुस खान को चुनाव मैदान में उतारा। भाजपा नेताओं का मानना था कि इससे मुस्लिम वोटों में टूट होगी और सचिन पायलट को कड़ी टक्कर मिलेगी। अब भाजपा का यही दाव यूनुस खान पर भारी पड़ता जा रहा है, यहां मुस्लिम वोटों में टूट के बजाय परंपरागत भाजपा का वोट भी उनके हाथ से खिसक रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि टोंक में प्रदेश की सबसे बड़ी जीत हो सकती है।
इसके अलावा जोधपुर के सरदारपुरा से अशोक गहलोत के सामने शंभू सिंह खेतासर को चुनाव लड़ने का मामला भी भाजपा को ही उल्टा पड़ गया है। यहां माली और राजपूत बहुसंख्यक है ऐसे में राजपूत वोटों के ध्रुवीकरण और अन्य समाजों को साध कर कड़ी टक्कर देने का मानस बनाया गया था, परंतु राजपूत समाज के विरोध के चलते अब खेतासर बुरी स्थिति में आ गए हैं। अब तो यहां हालात यह है कि अशोक गहलोत यहां पर सिर्फ 1 दिन चुनाव प्रचार के लिए आए हैं, जबकि खेतासर यहां दिन रात लगे हुए हैं और उन्हें पर्याप्त जनसमर्थन नहीं मिल पा रहा है।
इसके अलावा गुलाब चंद कटारिया भी उनकी परंपरागत सीट पर अटक गए हैं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बात की जाए तो यहां वे बहुत बुरी तरीके से अटकी हुई है हालांकि मुख्यमंत्री होने के कारण उन पर प्रदेश भाजपा की पूरी जिम्मेदारी है इसलिए वे फिलहाल दूसरे क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में व्यस्त है यहां उनका चुनावी कैंपेन उनकी कोर कमेटी के लोग ही संभाल रहे हैं । लेकिन माना जा रहा है कि मानवेंद्र सिंह भारी होने के बावजूद उसने को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
पिछले दिनों राजपूत होठों को साधने के लिए की गई डिनर डिप्लोमेसी मुख्यमंत्री राजे को उल्टी पड़ गई, यहां करीब 4000 लोगों को बुला कर खाने का इंतजाम किया गया किंतु कार्यक्रम में ढाई सौ लोग भी नहीं पहुंचे । इसके बाद अब मुख्यमंत्री अपने चुनाव प्रचार को सीमित करने में जुट गई है। यहां राजपूतों को साधने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी आगे किया गया है । अब चुनाव में दो ही दिन शेष है और मतदान मतदाताओं ने अपनी मानसिकता भी तय कर दी है, जो 7 दिसंबर को मत पेटी में बंद हो जाएगी।