जयपुर। राज्य सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ आज भीनमाल में दस हजार से अधिक किसानों ने हुंकार भरी। किसान सम्मेलन से करीब 10 किलोमीटर दूर ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा का भी कार्यक्रम था। ऐसे में मुख्यमंत्री वहां पहुंची किंतु किसानों के बीच नहीं आई इससे मुख्यमंत्री के प्रति लोगों में भारी रोष व्याप्त हो गया। गौरव यात्रा निकाल रही वसुंधरा राजे को किसानों का दुख दर्द जानने के लिए आने की फुर्सत नहीं मिली।

राजस्थान किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह पूनासा के नेतृत्व में हुए इस गैर राजनीतिक सम्मेलन में हजारों किसान शामिल हुए। प्रदेश का संभवतया पहला किसान सम्मेलन था, जिसमें बड़ी तादाद में महिला किसान शामिल हुई। महिला वक्ता सुनीता विश्नोई ने वसुंधरा सरकार को धिक्कारते हुए उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण सिंह राठौड़ ने कहा कि पांच साल पहले वसुंधरा राजे ने भीनमाल में 20 हजार किसानों को माही बनास का पानी जालोर में लाने का वादा किया था और किसानों ने सभा में वसुंधरा राजे को समर्थन देने की घोषणा की थी। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस पानी के मुद्दे को शामिल कर वोट लिए।

पांच साल में सरकार ने एक कमेटी का गठन करने के अलावा कुछ नहीं किया। अब किस बात की गौरव यात्रा आप यहां निकाल रही हो। अब किसान झांसे में आने वाले नहीं हैं।
किसान चिंतक राठौड़ नेे कहा कि किसान अपनी आजीविका कैसे चलाता है, इसका किसी मंत्री व अधिकारियों को पता नहीं है। सरकार को किसानों की समस्याओं को सुनकर समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पांच साल पूर्व किसानों से किए वादों को नहीं निभाया है। जिलेभर में किसान सिंचाई के लिए पानी की कमी से दुखी है। खेती दम तोड़ रही है।
सम्मेलन को विक्रम सिंह पूनासा ने कहा कि वसुंधरा राजे में अगर जरा भी संवेदना होती तो यहां सम्मेलन में आकर किसानों का दर्द जानने की कोशिश करती। गौरव यात्रा के विरोध में जुटे दस हजार से अधिक किसानों का ये कारवां इस सरकार की विदाई सुनिश्चित करेगा।
सभा को किसान नेता सुरेश व्यास, पुखराज विश्नोई, हरिराम विश्नोई, दीपाराम खींचड़, भगवान राम विश्नोई, मोडाराम देवासी, हरजीराम चौधरी, भभूताराम चौधरी, निंबाराम जाट समेत कई किसानों ने संबोधित किया। कार्यक्रम में बताया गया कि किसानों को अब नेता लोग जाति और धर्म के नाम पर झांसे देकर आपस में बांटने और लडाने की कोशिश करेंगे। हमें सावधान रहना होगा। किसानों की एक ही बिरादरी है। ये समझना होगा।
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