टोंक जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने दिया आधुनिक खेती को बढ़ावा, मशरूम की खेती के सुखद परिणाम आने लगे सामने

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Tonk News।टोंक जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल की जिले में आधुनिक खेती को बढ़ावा देने की पहल के सुखद परिणाम सामने आने लगे है। खेती को आर्थिक मजबूती मिले इसे लेकर टोंक जिले में निवाई ब्लॉक के गुन्सी, मुंडिया एवं राहोली ग्राम पंचायतों में राजीविका एसएचजी महिलाओं के द्वारा अगस्त माह में मशरूम की खेती की शुरूआत की गई। जिसके फलस्वरूप अब मशरूम (mushroom)बाजार में आने लगा है।

निवाई से यह मशरूम जिले के बाहर मुहाना मंडी एवं लाल कोठी सब्जी मंडी जयपुर जाने लगा हैं, जहां इसकी मांग बढ़ने लगी है। मशरूम के उत्पादन के शुरूआती दिनों में इसकी खपत जहां निवाई व आस-पास के क्षेत्र में ही थी,वहीं अब जैसे-जैसे मांग बढने लगी है उसी के साथ उत्पादन में भी बढोतरी हो रही है। इसकी मार्केटिंग के लिए अन्य प्रयास भी किए जा रहे है। ताकि इनके उत्पादन का उचित मूल्य मिल सके। जिससे इन महिलाओं की आय में अतिरिक्त वृद्धि हो सके।

जिला कलेक्टर के इस नवाचार से न केवल महिला किसानों की आय बढी है, बल्कि नए अवसर भी मिले है। इस नवाचार के माध्यम से महिलाओं को नवीन खेती प्रक्रिया से जोडकर उन्हें महिला उद्यमी बनाने की दिशा में सशक्त पहल की गई है। महिलाएं भी इस नई खेती प्रक्रिया में मेहनत करने में पीछे नहीं रही।

अगस्त 2021 में हुई शुरूआत, भूमिहीन खेती है मशरूम

अगस्त 2021 में राजीविका, आत्मा, कृषि विज्ञान केन्द्र की सहायता से मशरूम की खेती का कार्य शुरू किया गया था। मशरूम की खेती के लिए टोंक जिले के निवाई ब्लॉक की मुण्डिया, गुन्सी व राहोली पंचायत के 80 राजीविका समूहो को चयनित कर कार्यक्रम की शुरूआत की थी। जिनके साथ मशरूम के शेड बनाने का कार्य शुरू किया गया। मशरूम के शेड मनरेगा योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत लाभ के कार्य में स्वीकृत करवाये गये है एवं शेड बनवाए गए। मशरूम खेती के कार्य की अगुवाई एवं मॉनिटरिंग समय-समय पर जिला परियोजना प्रबंधक राजीविका टोंक, बीडीओ निवाई, राजीविका स्टाफ के द्वारा की जाती रही है।

समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती से होने वाले फायदो से अवगत कराया गया। इस नवाचार के दौरान महिलाओं को बताया गया की मशरूम एक प्रकार की भूमिहीन खेती है। जिसमें एक 18ग्20 के नाप का स्टील एवं लकड़ी से निर्मित कई परतों का शेड बनाया जाता है, जो कि समूह की महिलाएं तैयार करती है। मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से महिलाओं को दिया गया एवं बीज व अन्य सामग्री आत्मा टोंक एवं राजीविका के द्वारा दी गई।

मशरूम की खेती के लिए सर्वप्रथम खाद का कम्पोस्ट पिट तैयार जाता है, जिसमें भूसे को छाव के नीचे डालकर समय-समय पर गीला किया जाता है। इस प्रक्रिया को 28 दिन तक किया जाता है। जिसमें समय-समय पर भूसे मे दवाई मिलाकर उसकी पलटाई की जाती है। जिससे मशरूम के लिए कम्पोस्ट तैयार होता हैै, जो कि मशरूम के लिए जमीन का कार्य करता है। 28 दिन पश्चात जब कम्पोस्ट तैयार हो जाता है तब उसमे मशरूम का बीज मिलाकर उसकी बिजाई की जाती है।
बिजाई के 15 दिन मे मशरूम का जाल फैलने लग जाता है,जिसके बाद केसिंग का कार्य किया जाता है। जिसमे गोबर की खाद व कोकोपिट को जाल के ऊपर फैलाया जाता हैै। इस कार्य के पश्चात 30-45 दिन में मशरूम उगने लग जाता है और बड़े होने पर मशरूम को तोड़ा या काटा जाता है। एक मौसमी चरण में अधिकतम दो से तीन बार मशरूम उत्पादन लिया जाता है।

मशरूम के उत्पादन के पश्चात मशरूम को साफ करके इनकी पैकिंग का कार्य समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। मशरूम की मार्केटिंग समूह के उत्पादक ग्रुप व कलस्टर लेवल के द्वारा की जा रही है। जिससे की मशरूम का उचित दाम मिल सके। मशरूम से जो राशि प्राप्त की जाएगी वह राशि सीधा समूह की महिला के पास जमा होगी जिसके द्वारा मशरूम की खेती की गई है। जो भी राशि महिला के पास बचेगी वह महिला का शुद्ध लाभ होगा।

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