खानापूर्ति बना कांग्रेस का स्थापना दिवस, कई बड़े नेता नदारद, कार्यकर्ता बने डिस्पोज़ल,कार्यकर्ताओं में दिखा रोष,स्थापना दिवस पर रखा गया था कार्यक्रम
टोंक (फ़िरोज़ उस्मानी)। कड़ाके की ठंड में टोंक कांग्रेस कर्तकर्ताओं की नाराजगी ने गर्माहट पैदा कर दी है। टोंक में कांग्रेस का 137 वां स्थापना दिवस बिना कांग्रेस के आला नेताओं के केवल खाना पूर्ति बन कर रह गया। कार्यक्रम में कई कांग्रेस नेताओं का शामिल ना होना पार्टी की अंदरूनी कलह की कई परतों को उजागर भी कर गया है। इसके चलते कार्यकर्ताओं में रोष दिखाई दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सैय्यद मेहमूद शाह ने तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को केवल डिस्पोज़ल तक बता दिया। शाह ने मौजूदा टोंक की राजनीति में सक्रिय नेताओं की संगठन में भूमिका को लेकर सवालियां निशान खड़े कर दिए।
नेताओं का ना आना नागवार गुजरा
कांग्रेस पार्टी की वर्तमान में परिस्थितियों को लेकर भी अपना रोष प्रकट किया। दरअसल आज कांग्रेस के 137 वें स्थापना दिवस पर
टोंक ज़िला कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर एक कार्यक्रम रखा गया। जहां बहुत कम संख्या में कांग्रेसी मौजूद रहे। कई बड़े कांग्रेस नेताओं की अनुपस्थिति को लेकर कार्यकर्ताओं में रोष देखा गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैय्यद मेहमूद शाह ने जमकर कार्यक्रम में नही पहुँचे नेताओं पर कटाक्ष किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के स्थापना दिवस पर भी कांग्रेस नेताओं का ना आना टोंक की कांग्रेस की मौजूदा परिस्थितियों को दर्शाता है।
डिस्पोज़ल बने कार्यकर्ता
जमीन से जुड़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं को डिस्पोज़ल समझा जा रहा है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सैय्यद मेहमूद शाह ने भी पार्टी के आला नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए अपना नेताओं पर तंज कसे। उन्होंने कहा कि पैसों वालों को टिकट दिया जा रहा है, जबकि कई पुराने और नेताओं की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने देश मे चल रही कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में अपशब्द कहे जा रहे है, बावजूद इसके कांग्रेस नेता चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस पार्टी की स्थापना जिस उद्देश्य से की गई थी। अब उन उद्देश्यों को भूल गए है।
दो गुटों में बंटी कांग्रेस
मुख्यमंत्री व पूर्व डिप्टी सीएम आपसी विवादों के बाद ही टोंक की कांग्रेस पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। एक गुट मुख्यमंत्री तो दूसरा गुट सचिन पायलट का बन चुका है। मुखमंन्त्री के कार्यक्रमों में पायलट गुट नदारद ही रहता है। ये आपसी मतभेद आने वाले चुनावों के लिए घातक साबित होगा।