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मैं इस इदारे को देखकर अभिभूत हो गया हूं - गोपाल कृष्ण व्यास

मैं इस इदारे को देखकर अभिभूत हो गया हूं – गोपाल कृष्ण व्यास

Sameer Ur Rehman
5 Min Read

टोंक। मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान, राजस्थान, टोंक में आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार का समापन समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास एवं अध्यक्षता वर्धमान महावीर खुला विश्वविधालय,कोटा के वाईस चांसलर रतन लाल गोदारा ने की। समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि हिन्दी यूनिवर्स फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष मुजीब अता आज़ाद, एपीआरआई,टोंक के संस्थापक निदेशक साहिबज़ादा शौकत अली खान, मोइमुन कादरी हैदराबाद ने की।

I am overwhelmed to see this gesture - Gopal Krishna Vyas
सबसे पहले मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने संस्थान की आर्ट गैलेरी व डिस्पले हॉल का अवलोकन किया। संस्थान में संधारित विश्व की सबसे बड़ी कुरआन, हस्तलिखित ग्रन्थों को देखकर अत्यंत अभिभूत हुए। समारोह का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआने पाक मुफ्ती इस्लाहुद्दीन खिज़र नदवी एवं नआत शरीफ मोहम्मद आबिद अली खान ’आकिल’ ने किया।

समापन समारोह में न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि भारत में डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर बनते है इसके पीछे सोच किसकी थी जो भारतीय प्रशासन को चलाने वाले अधिकारी बनते है यह सोच उस शख्सियत की थी जिसका नाम पर तीन दिवसीय सेमिनार टोंक में आयोजित किया गया। उन्होने मौलाना आजाद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत रत्न स्वतंत्रता सेनानी मौलाना आजाद देश के निर्माताओं में अग्रिम पंक्ति के व्यक्तित्व है।

जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि मैं इस इदारे को देखकर अभिभूत हो गया हूं। यहां हिन्दुस्तान की संस्कृति का दस्तावेज झलकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का बहुत बड़ा योगदान है। मौलाना आजाद द्वारा किये गये कार्यो की सराहना की तथा उनको जीवन में उतारने के लिए कहा। मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि इस संस्थान को देखने का मौका मिला।

प्रोफेसर रतन लाल गोदारा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में टोंक की सर जमीन को नमन करते हुए कहा कि आप जो स्वागत सत्कार करते है तो उसके बदले में मैं अपना दिल भेंट करता हूं। उन्होने मौलाना आजाद के बारे में कहा कि मौलाना आजाद ने डिबेटींग सोसाइटी बनाई। इससे बोलने में आत्मविश्वास आता है। जीवन में फाइटर बनने के लिए आत्मविश्वास जरूरी है। मेरा मानना है कि अब्दुल कलाम ने आजादी में फाइटर बनाये, आजादी के बाद ऐसे शैक्षिणक संस्थान बनाये जहां से देश का निर्माण हो।

संस्थान के निदेशक डॉ.सौलत अली खान ने अरबी, फारसी, उर्दू व इतिहास में दिये गये अवार्ड के बारे विस्तार से बताया। उन्होंने मंचासीन अतिथियों का माल्यापर्ण, दस्तारबन्दी, शाल व कैलीग्राफी पैनल भेंट कर सम्मानित किया। निदेशक ने इस शेर से अपने भाषण की शुरूआत की।
’’सहने चमन को अपनी बहारो पे नाज़ था, वो आए तो सारी बहारों में छा गए।
आपके आने से इज्ज़त बढ़ गई, आपके आने का बहुत शुक्रिया।

निदेषक ने संस्थान में चल रही गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। निदेषक ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने सैकड़ो किताबे लिखी है। निदेशक ने कहा कि ’’मुजाहिदे आज़ादी मौलाना आज़ाद आलिम-ए-दीन और इल्मी, सियासी शख़्स ही नहीं थे बल्कि वो अदीब, मुफक्किर, मुदब्बिर भी थे, अदीब, सहाफी के साथ साथ मुजाहिदे आज़ादी भी थे’’। उन्होंने अपने अखबार अल हिलाल से आज़ादी के प्रति लोगों को जागरूक किया।

समारोह के विशिष्ट अतिथ मुजीब आजाद ने कहा कि मौलाना आजाद एक राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होने सभी धर्मो का प्रतिनिधत्व किया। भारतीय शिक्षा नीति में मौलाना आजाद का योगदान अग्रणीय है। संस्कृत के श्लोक व अरबी की आयते बोलते हुए उनके शाब्दिक अर्थ समझा कर वसुदेव कुटुम्बकम को दार्शनिक अंदाज में समझाया।

निदेशक ने अंत में इदारे की तरक्की के लिए मुख्यमंत्री, विभाग के मंत्री डॉ0 बी0डी0 कल्ला तथा विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री ए0 राठौड़ का शुक्रिया अदा किया। समारोह का संचालन मौलाना जमील अहमद ने किया।

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