टोंक। टोंक शहर के समीप बनास नदी किनारे मोलाईपुरा समेत आस-पास के इलाकों में धड़ल्ले से बालू मिट्टी का अवैध खनन चल रहा है। जबकि पुलिस और खनिज विभाग जिले में अवैध खनन पर अंकुश लगाने का दावा करती है, लेकिन यह सच है कि मिट्टी का अवैध खनन और परिवहन लगातार जारी है। चौंकाने वाली बात यह है कि अवैध खननकर्ता धार्मिक स्थल की आड़ में खनन कर परिवहन करा रहे हैं।
बकायदा ट्रैक्टर-ट्रॉली चालक को धार्मिक स्थान के नाम की रसीद भी दी जाती है। इसके बावजूद पुलिस और खनिज विभाग आंखबंद कर बैठा है। सूत्रों का तो दावा है कि पुलिस और खनिज विभाग इस ओर ध्यान देना ही नहीं चाहता है।
इसका कारण है कि खनन माफिया राजनीति में बड़ा प्रभाव रखते हैं। ऐसे में कार्रवाई के समय ही पुलिस और प्रशासन दबाव में आ जाते हैं। इसी का तो नतीजा है कि मोलाईपुरा समेत बनास नदी किनारे कई इलाकों में कई मीटर गहरी खाइयां कर दी गई है।
जलदाय विभाग की रिपोर्ट पर भी अनदेखी
दो साल पहले जलदाय विभाग ने खनिज विभाग और पुलिस को रिपोर्ट दी थी कि अवैध खनन के लिए उनके कुएं क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके बाद मोलाईपुरा स्थित जलदाय विभाग के कुओं के समीप पुलिस की चौकी लगा दी थी, लेकिन यह चौकी कुछ दिनों बाद ही हटा ली गई। इसके बाद से अब तक लगातार खनन जारी है।
दो हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली रोज निकलती है
शहर के मोलाईपुरा इलाके से ही बालू मिट्टी भरकर दो हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली रोज निकलती है। ऐसा भी नहीं है कि सदर थाना पुलिस यहां नियमित गश्त नहीं करती है, लेकिन उन्हें खनन और बालू मिट्टी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ही नजर नहीं आती है। वे महज पुलिस वाहन से चक्कर लगाकर आ जाते हैं।
कई बार लोग कर चुके विरोध
मोलाईपुरा से निकलने वाले ओवरलोड मिट्टी से भरे वाहनों से कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। लगातार विरोध भी किया जा चुका है, लेकिन ना तो पुलिस ध्यान देर रही और ना ही खनिज विभाग यहां कार्रवाई कर रहा है।
एक भी लीज नहीं है
जिले में बनास नदी के अलावा मिट्टी खनन की एक भी लीज नहीं है। खनिज विभाग ने महज ईंट भट्टा संचालकों को ही मिट्टी खनन की अनुमति दी है। जबकि बालू मिट्टी की लीज जिले में कहीं नहीं है। इसके बावजूद पुलिस की नाक के नीचे अवैध खनन व परिवहन जारी है।