Tonk news / Dainik reporter: नगर परिषद सभापति पद के लिए 26 नवंबर को मतदान होगा। कांग्रेस की और से वार्ड 7 से जीतकर आए नवनिर्वाचित पार्षद अली अहमद उर्फ बाबा व भाजपा की लक्ष्मी जैन में सीधी टक्कर है। अब मतदान के दिन होने वाली क्रॉस वोटिंग दोनों ही दलों के समीकरण भी बिगाड़ सकती है। वर्ष 2014 में भी कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा में क्रॉस वोटिंग कर समीकरण बिगाड़े थे।लेकिन इस बार स्थिति इसके उलट है।
देखने मे आया है कि भाजपा की बाड़ाबंदी से 10 पार्षदों में बगावत के सुर उठ रहे है। बाड़ाबंदी तोड़कर 5 भाजपा पार्षद आज शपथ लेने पहुचे है। 5 पार्षद पूर्व में शपथ ले चुके है। इन 10 बागी पार्षदों की भी कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग होने की संभावनाएं जताई जा रही है।
इस बार भी कुछ ऐसा प्रतीत होता दिखाई दे रहा है। दोनों ही प्रमुख दल जीत के आंकड़े के लिए अपना अपना बहुमत होने का दावा भी ठोक रहे है। हालांकि दोनों ही दलों को पूर्ण बहुमत नही मिला है। कांग्रेस 27 व भाजपा को 23 पार्षद जीतकर आए है। और 10 निर्दलीयों ने बाजी मारी है। सभापति के लिए 31 का आंकड़ा चाहिए ।
2014 के नगर परिषद चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। जब भाजपा ने कांग्रेस से कम सीटें जीतने के बाद भी 25 मत हासिल कर सभापति पद पर काबिज़ हो गई। उस चुनाव में 45 वार्डों से 18 भाजपा, कांग्रेस 22 व 5 निर्दलीय पार्षद चुने गए। कांग्रेस जीत के लिए महज एक सीट दूर होने के बाद भी कांग्रेस सभापति नही चुन पाई।
भाजपा ने जोड़-तोड़ कर 7 पार्षदों को अपनी और कर लिया था। भीतरघात के चलते कांग्रेस पार्षदों ने भी भाजपा में क्रॉस वोटिंग की। वार्ड 44 की पार्षद मोत्यां देवी मतदान करने पहुची ही नही थी। भाजपा से लक्ष्मी जैन को 25 व कांग्रेस की गायत्री चौरासिया को 19 मत मिले। अब देखना ये होगा कि मतदान के दिन होने वाली क्रॉस वोटिंग से किस दल को नुकसान होता है, और किसके सर सभापति का ताज सजता है।