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प्रियंका गांधी को राजस्थान से राज्यसभा के चुनाव में उतारने की उठी पुरजोर मांग - Dainik Reporters

प्रियंका गांधी को राजस्थान से राज्यसभा के चुनाव में उतारने की उठी पुरजोर मांग

liyaquat Ali
4 Min Read
जयपुर
वर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा में कॉग्रेस से नही कोई प्रतिनिधि  मौजूदा राजनीति में राजस्थान से राज्यसभा में संसद के ऊपरी सदन में कांग्रेस पार्टी का राजस्थान से एक भी नुमाइंदा नहीं है। राज्यसभा का ये उप चुनाव राजस्थान की कांग्रेस के लिये संसद में खाता खोलने वाला बनेगा। चुनावी अधिसूचना जारी होने के साथ ही सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली पहुंच चुके हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से उनका प्रत्याशी चयन को लेकर विचार विमर्श हुआ है।

 

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जयपुरवर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा में कॉग्रेस से नही कोई प्रतिनिधि  मौजूदा राजनीति में राजस्थान से राज्यसभा में संसद के ऊपरी सदन में कांग्रेस पार्टी का राजस्थान से एक भी नुमाइंदा नहीं है। राज्यसभा का ये उप चुनाव राजस्थान की कांग्रेस के लिये संसद में खाता खोलने वाला बनेगा। चुनावी अधिसूचना जारी होने के साथ ही सियासत तेज हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली पहुंच चुके हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से उनका प्रत्याशी चयन को लेकर विचार विमर्श हुआ है।तीन  नामों को लेकर अटकलेंपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी का नाम टिकट को लेकर चर्चा में है। प्रियंका गांधी मैदान में उतरती है तो यह बड़ा सियासी कदम कांग्रेस का हो सकता है। अन्य नेताओं में मुकुल वासनिक का नाम भी लिया जा रहा है। राजस्थान से कांग्रेस के प्रत्याशी का जीतना अधिक मुश्किल काम नहीं है। यहां 198 विधायकों में से 114 विधायक अभी अशोक गहलोत के साथ हैं।  कुनबे में कलह पैदा नहीं हो इसके लिये भी कांग्रेस का थिंक टैंक तैयार है। राज्यसभा चुनावों को लेकर कुनबे को एक रखना कांग्रेस के लिये किसी चुनौती से कम नहीं होगा।राजस्थान से पहला सांसद कांग्रेस पार्टी का होने के प्रबल आसारराजस्थान में सरकार बनाने का राजनीतिक लाभ राज्यसभा में कांग्रेस को प्राप्त होगा। मदन लाल सैनी के निधन के कारण एक सीट खाली हो गई है। इन चुनावों में राजस्थान से पहला सांसद कांग्रेस पार्टी का होने के प्रबल आसार है। वोटों की गणित में भी कांग्रेस बीजेपी से आगे है। साथ ही बीएसपी के 6 विधायकों,13 निर्दलीय और एक आरएलड़ी विधायक का समर्थन अशोक गहलोत को प्राप्त है। लिहाजा कांग्रेस के लिये चिंता की कोई वजह हो नहीं सकती है। बीटीपी के 2 विधायकों का समर्थन भी मिलने की उम्मीद है। हालांकि बीएसपी के वोटों का निर्णय मायावती को करना है। अभी तक सेकुलर विचारधारा के तौर पर वो कांग्रेस के साथ है। सीपीएम के 2 विधायक भी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। उधर विरोधी दल के संख्याबल की बात करें तो 72 विधायक बीजेपी के है और हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 2 विधायक एनडीए के साथ जाएंगे। दो सीटें खींवसर और मंडावा में विधानसभा के उपचुनाव होने है।कांग्रेस के सामने चुनौतीमाना यही जा रहा बीजेपी उम्मीदवार नहीं उतारेगी लेकिन उम्मीदवार सामने आया तो चुनाव दिलचस्प हो सकता है। ऐसे में वोटों की जोड़-तोड़ की गणित सामने आ सकती है। धारा 370 के मसले पर संसद में बीएसपी ने एनडीए का साथ दिया था वहीं कुछ निर्दलीयों के इधर-उधर होने से माहौल गर्मा सकता है। हालांकि इस तरह की संभावनाएं फिलहाल नजर नहीं आ रही। संख्या बल अभी कांग्रेस के पक्ष में है।आलाकमान तय करेगाकहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान किसी एक वरिष्ठ नेता को राज्यसभा में भेजने के लिये राजस्थान को चुनेगा। अभी होने वाले चुनावों में कांग्रेस के किसी केन्द्रीय नेता को जगह मिल सकती है। इसे लेकर कुछ नामों पर विचार शुरु हो गया है। दो प्रमुख नाम सामने आये है मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी। हालांकि कांग्रेस के खेमे में प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाये जाने की मांग उठी है। राजस्थान के कांग्रेस के विधायकों के बीच से ये बात आई है।
तीन  नामों को लेकर अटकलें
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी का नाम टिकट को लेकर चर्चा में है। प्रियंका गांधी मैदान में उतरती है तो यह बड़ा सियासी कदम कांग्रेस का हो सकता है। अन्य नेताओं में मुकुल वासनिक का नाम भी लिया जा रहा है। राजस्थान से कांग्रेस के प्रत्याशी का जीतना अधिक मुश्किल काम नहीं है। यहां 198 विधायकों में से 114 विधायक अभी अशोक गहलोत के साथ हैं।  कुनबे में कलह पैदा नहीं हो इसके लिये भी कांग्रेस का थिंक टैंक तैयार है। राज्यसभा चुनावों को लेकर कुनबे को एक रखना कांग्रेस के लिये किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
राजस्थान से पहला सांसद कांग्रेस 
पार्टी का होने के प्रबल आसार
राजस्थान में सरकार बनाने का राजनीतिक लाभ राज्यसभा में कांग्रेस को प्राप्त होगा। मदन लाल सैनी के निधन के कारण एक सीट खाली हो गई है। इन चुनावों में राजस्थान से पहला सांसद कांग्रेस पार्टी का होने के प्रबल आसार है। वोटों की गणित में भी कांग्रेस बीजेपी से आगे है। साथ ही बीएसपी के 6 विधायकों,13 निर्दलीय और एक आरएलड़ी विधायक का समर्थन अशोक गहलोत को प्राप्त है। लिहाजा कांग्रेस के लिये चिंता की कोई वजह हो नहीं सकती है। बीटीपी के 2 विधायकों का समर्थन भी मिलने की उम्मीद है। हालांकि बीएसपी के वोटों का निर्णय मायावती को करना है। अभी तक सेकुलर विचारधारा के तौर पर वो कांग्रेस के साथ है। सीपीएम के 2 विधायक भी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। उधर विरोधी दल के संख्याबल की बात करें तो 72 विधायक बीजेपी के है और हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 2 विधायक एनडीए के साथ जाएंगे। दो सीटें खींवसर और मंडावा में विधानसभा के उपचुनाव होने है।
कांग्रेस के सामने चुनौती
माना यही जा रहा बीजेपी उम्मीदवार नहीं उतारेगी लेकिन उम्मीदवार सामने आया तो चुनाव दिलचस्प हो सकता है। ऐसे में वोटों की जोड़-तोड़ की गणित सामने आ सकती है। धारा 370 के मसले पर संसद में बीएसपी ने एनडीए का साथ दिया था वहीं कुछ निर्दलीयों के इधर-उधर होने से माहौल गर्मा सकता है। हालांकि इस तरह की संभावनाएं फिलहाल नजर नहीं आ रही। संख्या बल अभी कांग्रेस के पक्ष में है।
आलाकमान तय करेगा
कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान किसी एक वरिष्ठ नेता को राज्यसभा में भेजने के लिये राजस्थान को चुनेगा। अभी होने वाले चुनावों में कांग्रेस के किसी केन्द्रीय नेता को जगह मिल सकती है। इसे लेकर कुछ नामों पर विचार शुरु हो गया है। दो प्रमुख नाम सामने आये है मनमोहन सिंह और प्रियंका गांधी। हालांकि कांग्रेस के खेमे में प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाये जाने की मांग उठी है। राजस्थान के कांग्रेस के विधायकों के बीच से ये बात आई है।
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