Newai news। किसी भी शहर में एक आध व्यक्ति तो ऐसे होते हैं जो अपनी करणी के कारण अपने नाम व परिचय के मोहताज नही होते। उन्ही में है से एक सख्शियत दिलीप इसरानी है। वर्तमान में कोविड 19 में इन दिनों वैश्विक महामारी के दौरान लॉक डाउन ठाले हुए मजलुमो,बेरोजगार हाथों को यथा शक्ति राशन सामग्री को वितरण कर ऐसे सभी जरूरमंदो के पेट की चिंता कर किसी को भी भूखा सो ने नही दे रहे है।
इसरानी की मंशा भी हैं जबतक लखदातार देता रहेगा और उनका आशीर्वाद रहा तो वे भी राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की मंशा के तहत पीड़ित मानव की गरीब को गणेश मान कर सेवा करते रहेंगे। क्यों कि कहा भी गया है कि नर सेवा ही नारायण की सेवा है। इसरानी ने अब तक शहर के सभी वर्गों क लगभग 3 हजार लोगो को रसद सामग्री के किट जिनमे दाल,तेल,चीनी,चाय, नमक, मिर्ची एवं आटे का एक पैकिट वितरण कर रहे है।
ताकि कोई मजलूम संकट के समय भूखा नही सोये। इसके अतिरिक्त बीमार लोगो के स्वास्थ्य की चिंता कर ऐसे लोगो के जीवन रक्षक ओषधियाँ मंगवा कर दे रहे है। ताकि शहर के लोग निरोगी रहे। इसरानी का मकसद केवल मात्र निःस्वार्थ सेवाभाव ही है।
दिलीप इसरानी की सेवा का दायरा यही तक सीमित नही है , मानव प्राणी की सेवा के लिये असामयिक दुर्घटनाओं में एवं अन्य रोगी की खून के अभाव में किसी की मौत नहो ,इसको दृष्टिगत रखते हुये अबतक 4 बार ब्लड कैम्पो का आयोजन किया गया ।ताकि खून के अभाव में लोगो की असमय मृत्यु को रोका जा सके ।
जहाँ प्रत्येक कैम्प में दो दो सौ यूनिट ब्लड यूनिट एकत्रित कर जरूरतमंद रोगियों को दिया जाकर प्राण बचाने का काम किया है।
लखदातार की कृपा के चलते एवं तेरा तुझ को अर्पण की तर्ज पर जो भी इन मदद की दरकार रखता हैं उसकी यथोचित मदद करते हैं तथा कहते है कि ओर जरूरत हो तो फिर सेवा का मौका देना । ऐसी सख्शियत हैं । सेवा एवं समर्पण के नाम से ना तो उनके जहन में ओर न ही उनकी जुबान पर ना शब्द तो है ही नही।
शहर से विभिन्न जगह जाने वाली पद यात्रा हो या भंडारा हो यथा सहयोग कर अपने आपको उपकृत मानते हैं। यही नही खाटू श्याम जाने वाली पद यात्रा में यात्रियों को धाम पहुँचने पर अगले दिन सभी पद यात्रियो को अपनी ओर रुचि पूर्ण भोजन का बंदोबस्त करते है। यही नही गत वर्ष सर्व धर्म विवाह का आयोजन निःशुल्क करवाया गया।
जिसमें विभिन्न समाजों की 10 कन्याओं के पीले हाथ किये गए। जिनका लग्न से लेकर विदाई तक प्रत्येक पर व्ययभार स्वयं वहन किया जाकर अनुकरणीय बेमिसाल उदाहरण पेश किया।