जयपुर/ रेप जैसे मामले में पुलिस की जांच प्रणाली एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई जब आज शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध कोटा की पोक्सो कोर्ट संख्या 4 के न्यायाधीश में 3 साल पुराने एक मंदबुद्धि युवती से रेप के मामले में पुलिस द्वारा की गई ।
जांच कार्रवाई को लेकर जबरदस्त फटकार लगाते हुए आरोपी को बरी कर दिया और साथ ही पुलिस की गलत जांच प्रणाली के कारण 1 साल तक जेल में रहने और छवि धूमिल होने के मामले मैं कोर्ट ने बरी किए गए ।
आरोपी को ₹300000 का हर्जाना देने के लिए आदेश पुलिस को दिए हैं यह हर्जाना राशि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शहर और संबंधित थाना प्रभारी के वेतन से काट कर दो माह में कोर्ट में जमा कराने के आदेश पारित किए हैं।
विदित है कि 31 अगस्त 2020 को रामपुरा थाने में एक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें बताएगी उसकी सबसे बड़ी बेटी(22) की है जो मंदबुद्धि और दिमाग रोग से ग्रसित है ।
पेट दर्द की शिकायत होने पर उसे डॉक्टर को दिखाने के लिए ले गए तो डॉक्टर ने उसे 5 महीने का गर्भ बताया इस पर जब घर आकर बेटी से पूछा इशारों में तो उसने इशारों में बताया कि उनके घर के पड़ोस में ही रहने वाले युवक जो अगरबत्ती का काम करता है ।
उस की ओर इशारा किया इस पर पीड़िता के पिता ने रामपुर थाने में रेप का मामला युवक के खिलाफ दर्ज कराएं पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 14 सितंबर 2020 को युवक को गिरफ्तार कर लिया और 3 दिसंबर 2020 को सीजेएम कोर्ट में चालान पेश कर दिया यहां से प्रकरण डीजे कोर्ट में और फिर महिला उत्तरण कोर्ट में गया।
इसके बाद पोक्सो कोर्ट संख्या 4 में उक्त मामला सुनवाई के लिए आया जहां 25 फरवरी 2021 से इस मामले की पोक्सो कोर्ट में सुनवाई हो रही है तथा आरोपी सितंबर 2021 तक जेल में रहा और उसके बाद उसकी जमानत हुई ।
इस मामले में सुनवाई करते हुए पोक्सो कोर्ट ने आज दिए फैसले पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच को लेकर पुलिस को फटकार लगाते हुए फैसले में में लिखा कि जांच अधिकारी को घटनास्थल के आसपास रहने वाले किराएदार मकान के आसपास रहने वाले लोगों को पीड़िता के जीजा से भी डीएनए सैंपल मॉडर्न एवं साइंटिफिक तरीके से जांच करने की जरूरत थी लेकिन जांच अधिकारी में कोई परिपक्वता नहीं दिखाई।
तथा शहर पुलिस अधीक्षक ने भी अपने दिमाग का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया और उक्त प्रकरण में चालान पेश करने का आदेश जारी कर दिया यह मामला जांच अधिकारियों व शहर पुलिस अधीक्षक की गंभीर लापरवाही का एक सर्वोत्तम उदाहरण है।
जिस कारण से आरोपी व्यक्ति जिसने पीड़िता के साथ वास्तव में गलत काम किया रेप किया वह पकड़ में नहीं आ पाया और दूसरा व्यक्ति फस गया बचाव पक्ष के वकील सादिक खान ने आगे पुलिस की दोषपूर्ण कार्यवाही की वजह से उसका मौत के 1 साल तक जेल में रहा ।
इस दौरान उसका रोजगार भी चला गया और समाज में उसकी छवि भी धूमिल हुई तथा शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी इस पर कोर्ट ने आरोपी युवक जिसे पुलिस ने आरोपी बनाया था उस आरोपी युवक को बरी करते हुए ।
उस युवक को ₹300000 की क्षतिपूर्ति के आदेश दिए हैं तथा यह राशि रामपुरा थाना के तत्कालीन जांच अधिकारी उदयलाल और तत्कालीन एसएचओ पवन कुमार व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शहर के वेतन से वसूल करने के आदेश दिए और उक्त राशि 2 माह में कोर्ट में जमा कराने के निर्देश दिए तथा निर्णय की पालना के लिए कलेक्टर को भी आदेश की कॉपी भेजी गई है।