राजस्थान में शिक्षको की दुर्दशा सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना,सरकारी शिक्षकों से कराया जा रहा गैर शैक्षणिक कार्य

Dr. CHETAN THATHERA
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जयपुर/ राजस्थान में सरकार और शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जमकर आवहेलना कर रही है और इसी के साथ शिक्षा का अधिकार कानून कभी उल्लंघन किया जाकर सरकारी शिक्षकों का शोषण कर उनको 30 से भी अधिक गैर शैक्षणिक कार्य कराया जा रहा है इससे सरकारी विद्यालयों अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है ।

वर्तमान में राजस्थान में शिक्षकों से शैक्षणिक कार्य के अलावा गैर शैक्षणिक कार्य किस श्रेणी में काम कराया जा रहा है शिक्षकों को जन आधार पंजीकरण मिड-डे-मील बाल गोपाल दूध शाला दर्पण छात्रवृत्ति राजश्री का पालनहार योजना यूनिफॉर्म एसआईटी उत्सव जयंती सारा स्वास्थ्य स्वच्छता

मीना मंच यूको क्लब इंस्पायर अवार्ड प्रवेशोत्सव एसएमसी बैठक पाठ्यपुस्तक किचन गार्डन पुस्तकालय वृक्षारोपण खेलकूद स्टॉक वॉलिंटियर ऑनलाइन के अलावा शिक्षकों को बीएलओ जनगणना आरएसकेएमबीके निष्ठा आत्मरक्षा प्रशिक्षण हाउसहोल्ड सर्वे डाक संबंधी कार्य आदि कार्य शिक्षकों से कराए जा रहे हैं ।

आरटीई एक्ट 2009 की धारा 27 के अनुसार किसी भी शिक्षक को 10 वर्षीय जनगणना आपदा राहत कार्यों पंचायती राज संस्थाओं स्थानीय निकायों विधान मंडलों विधानसभा और संसद के चुनाव के अलावा कोई कार्य नहीं करवाया जा सकता ।

निर्वाचन आयोग ने भी सन 2010 में केवल संविदा शिक्षकों को ही बीएलओ लगाने के आदेश जारी कर दिए थे और पूर्व मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाने के आदेश राज्य सरकारों को दिए थे । सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के तहत राजस्थान में भी मुख्य सचिव ने शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाने के कई बार आदेश जारी किए जा चुके हैं ।

लेकिन आश्चर्य की बात है कि इसके बाद भी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने का सिलसिला जारी है और शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में 30,000 से अधिक शिक्षक बीएलओ की कार्य से जुड़े हुए हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और चुनाव आयोग के आदेशों की आज मिलना है ।

शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों मैं लगाने के कारण सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा है यदि शिक्षकों को एक गैर सरकारी शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर दिया जाए तो

यही समय कक्षा में शिक्षक देने लग जाएंगे इससे 50% पढ़ाई अधिक हो सकेगी और सरकारी स्कूलों का शैक्षणिक स्तर निजी स्कूलों से काफी बेहतर हो सकता है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम