जयपुर
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी का राष्टï्रीय उपाध्यक्ष बनाने के बाद अब चर्चा है कि पार्टी आलाकमान राजस्थान में नई लीडरशिप तैयार करने की रणनीति पर काम कर रहा है। ऐसे में अब भाजपा में वसुंधरा के बाद किसके चेहरे पर भाजपा वापस सत्ता पर काबिज हो जाए, उस चेहरे पर मंथन किया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 16 वर्षों तक प्रदेश में भाजपा की एकछत्र नेता रही वसुंधरा राजे ने कभी दूसरी पंक्ति के नेता को आगे ही नहीं आने दिया, ऐसे में अब पार्टी आलाकमान के समक्ष दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाना बडी चुनौती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे को राष्टï्रीय राजनीति में भेजने के बाद आलाकमान एक बार फिर जोधपुर सांसद और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत पर दांव खेल सकता है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों से पहले शेखावत की प्रदेशाध्यक्ष पद पर ताजपोशी की जा सकती है। इसके अलावा गुलाबचंद कटारिया और राजेन्द्र राठौड को भी प्रदेश में भाजपा के चेहरे के रूप में प्रमोट किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड और विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को भी प्रमोट कर आगे लाया जा सकता है। हालांकि गजेन्द्र सिंह शेखावत और राज्यवर्धन सिंह को लेकर चर्चा है कि ये दोनों नेता केन्द्रीय नेतृत्व के नजदीक है लेकिन प्रदेश में इनका राजनीतिक केरियर बहुत छोटा है। एकाएक इस प्रकार उन्हें पार्टी का चेहरा बनाए जाने से पार्टी में ही विरोध हो सकता है।
वहीं गुलाबचंद कटारिया और कैलाश मेघवाल दोनों ही भाजपा के वरिष्ठï नेता है लेकिन उम्रदराज होने के कारण पार्टी इन दोनों पर कोई बडा गेम नहीं खेल सकती है। इसके अलावा राजेन्द्र राठौड पर लगे आपराधिक मुकदमे उनको आगे बढने से रोक सकते हैं। राठौड को लेकर पार्टी में धडेबंदी हो सकती है, पहले वसुंधरा राजे की नजदीकियों के चलते उनकी संघ से भी दूरी बन गई थी। ऐसे में संघ भी उनके नाम पर आपत्ती जता सकता है। हालांकि प्रदेश में सभी धडों की एकराय बने ऐसा कोई चेहरा नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि जिस मजबूती के साथ राष्टï्रीय अध्यक्ष अमित शाह संगठन को नेतृत्व दे रहे हैं उस आधार पर तो उन्होंने जिस नाम को हरी झण्डी दे दी, वहीं सर्वमान्य हो जाएगा।