राज्य में पांच वर्षों तक अपनी संपत्ति छिपाते रहे तीन मंत्री

liyaquat Ali
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जयपुर। भाजपा सरकार के करीब 5 वर्षों के कार्यकाल के दौरान किसी भी मंत्री ने
अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया गया है। कुछ मंत्रियों ने किसी न किसी साल हालांकि कैबिनेट सचिवालय को ब्यौरा भिजवाया तो है लेकिन रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं होने से ये ब्यौरे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

केन्द्र सरकार ने 2010 में सभी केन्द्रीय और राज्यों के मंत्रियों को अपनी सम्पत्ति की जानकारी हर वर्ष 31 अगस्त तक ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे और ऐसा न करना जवाबदेही व पारदर्शिता अधिनियम का उल्लंघन माना जाता है। वहीं मौजूदा राज्य सरकार का कार्यकाल पूरा होने को है लेकिन राजे सरकार में मंत्री अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इस जिम्मेदारी से पीछे हटते रहे।

इस बारे में लगातार खबरें प्रसारित होने के बाद भी किसी भी मंत्री की संपत्ति का ब्यौरा कैबिनेट सचिवालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक नहींं किया गया है।इसे लेकर कैबिनेट सचिवालय ने बार बार रिमाइंडर भी जारी किए हैं। जिसके बाद भी लगातार 4 सालों तक हर साल किसी भी मंत्री ने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। कुछ मंत्रियों ने किसी किसी साल का ब्योरा दिया है इसमें भी इन मंत्रियों ने किसी भी साल ब्योरा नहीं दिया
है। किसी भी वर्ष ब्यौरा न देने वाले कैबिनेट मंत्री में नंदलाल मीणा,राजपाल सिंह शेखावत व अजय सिंह किलक तथा राज्य मंत्रियों में अमराराम का नाम शामिल है।

कैबिनेट सचिवालय के रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 13 कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 6 राज्यमंत्री किसी न किसी वर्ष ब्यौरा दे चुके हैं लेकिन इन्होंने अभी अपूर्ण सूचनाएं मुहैया कराई हैं और इसलिए इनका भी पूरा ब्यौरा उपलब्ध नहीं हैं। इनमें कैबिनेट मंत्रीगुलाब चंद कटारिया,राजेन्द्र सिंह राठौड़,कालीचरण सराफ, प्रभुलाल सैनी, गजेन्द्र सिंह खींवसर, युनूस खान, सुरेन्द्र गोयल डॉ. रामप्रताप,हेमसिंह भड़ाना, बाबूलाल वर्मा, अरूण चतुवेर्दी, श्रीचंद कृपलानी,जसवंत सिंह यादव शामिल है जबकि राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)कृष्णेन्द्र कौर दीपा,वासुदेव देवनानी,राजकुमार रिणवा,अनिता भदेल, सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी तथा राज्य मंत्री  ओटाराम देवासी,पुष्पेन्द्र
सिंह, धनसिंह रावत,बंशीधर,सुशील कटारा भी इनमें शामिल हैं।

गौरतलब है कि जिन मंत्रियों ने संपत्ति का ब्यौरा दे भी दिया है वह ब्यौरा अभी कैबिनेट सचिवालय की फाइलों में बंद हैं और उसे वेबसाइट पर या अन्य तरह से उजागर नहीं किया गया है।

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