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राजस्थान में कांग्रेस को झटका,91 विधायकों के इस्तीफे का मामला, सरकार से जबाव तलब

राजस्थान में कांग्रेस को झटका,91 विधायकों के इस्तीफे का मामला, सरकार से जबाव तलब

Dr. CHETAN THATHERA
4 Min Read

जयपुर/ राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर सितंबर माह में घटे घटनाक्रम के तहत कांग्रेस के 91 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए ।

सामूहिक इस्तीफे के मामले में आज कांग्रेस और गहलोत सरकार को उस समय झटका लगा जब हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और सचिव को नोटिस जारी किए हैं।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व चूरू से भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर आज न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और विनोद कुमार भरवानी की बेंच में इस मामले को लेकर सुनवाई हुई याचिकाकर्ता राजेंद्र राठौड़ ने अपने केस की पैरवी स्वयं की और उन्होंने कोर्ट में पैरवी करते हुए ।

दलील दी कि विधायकों के सामूहिक त्यागपत्र से वर्तमान सरकार सदन का विश्वास खो चुकी है इसके बावजूद कैबिनेट मीटिंग तक नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं इससे भी स्वीकार नहीं करने से गौर संवैधानिक विफलता की स्थिति पैदा हो रही है।

इसे रोकने के लिए कानूनी दखल जरूरी है राठौड़ ने काय की 25 सितंबर को सियासी बगावत के चलते प्रदेश में सरकार समर्थित इक्रान विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सौंपे थे और आज उस बात को 2 माह बीत जाने के बाद भी इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं । मंत्री और विधायक अभी भी संवैधानिक पदों पर बैठे हैं जिन्हें बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

राठौड़ ने कोर्ट में तर्क दिया कि विधायक का खुद से इस्तीफा दिया जाना अधिकार है और एक राणू विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने या उनके इस्तीफे पर किसी अपराधी की ओर से गलत तरीके से हस्ताक्षर के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर विधायकों ने अध्यक्ष को इस्तीफा दिया था अध्यक्ष को बिना देरी किए ।

इसे स्वीकार करना चाहिए था अध्यक्ष के लिए विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के अंतर्गत यह अनिवार्य है विधायक एक जागरूक शिक्षित व्यक्ति होता है जब 91 विधायकों ने सामूहिक रूप से बुद्धि लगाकर इस्तीफे देने का निर्णय लिया तो यह नहीं कहा जा सकता कि विधायकों का ज्ञान सामूहिक रूप से फेल हो गया हो।

राठौड़ ने न्यायालय में यह भी तर्क दिया कि इस इस्तीफों पर तत्काल प्रभाव से निर्णय लेने के संबंध में भाजपा विधायक दल और बाद में उनके स्वयं के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को कई बार पत्र लिखे गए उसके बाद भी स्थिति स्वीकार नहीं करने से इस्तीफे को स्वीकार कर लेने की धमकी की आड़ में अशोक गहलोत जबरन मुख्यमंत्री बने रहे।

उन्होंने कहा कि स्थिति पर निर्णय लंबित होने से मंत्रिमंडल के सदस्य अभी भी तबादला उद्योग चलाकर तबादले की सूचियों पर हस्ताक्षर करें हैं विभागीय बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं और मंत्री के रूप में प्राप्त सुविधाएं जैसे बंगला कार स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों को भी वापस नहीं लौटा रहे हैं जब मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भी त्यागपत्र सौंपा है तो फिर वह किन प्रावधान के तहत मंत्री पद के रूप में आसीन हैं।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम