जयपुर। प्रदेश भाजपा के बुजुर्गवार नेताओं का राजनीतिक सफर थमता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे नेता उम्र का तकाजा और शारीरिक शिथिलता की परवाह किए बिना एक बार फिर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। कई उम्रदराज नेता अपनी अगली पीढ़ी को टिकट देने की भी मांग कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पार्टी को इस बात की चिंता भी सता रही है कि ऐसे नेताओं की संतान या रिश्तेदार उनकी तरह परफोरमेंस दे पाएंगी या नहीं। ऐसी स्थिति में फिलहाल बुजुर्ग नेताओं के वंशजों की दावेदारी को लेकर पार्टियां मंथन करने में जुटी हुई हैं।
राजस्थान में वर्तमान में 70 से 90 साल तक के नेता विधायक राजनीति में सक्रिय हैं। इनमें से कई तो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी शिथिल नजर आने लगे हैं लेकिन फिर भी विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही इनकी धुंधलाती आंखों में एक अजीब सी चमक और लडख़ड़ाते कदमों में फुर्ती आ गई है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों का फोकस इन दिनों युवा मतदाताओं पर है, वहीं इन पार्टियों में भी अंदरखाने में निर्धारित आयु के दावेदारों को ही टिकट दिए जाने की मांग उठती रही है, हालांकि इस संबंध में किसी भी पार्टी ने अभी तक प्रत्याशियों के चयन में किसी तरह की आयु की बाध्यता को लागू करने का कोई निर्णय नहीं लिया है। यही कारण है कि एक बार फिर ये नेता टिकट की आस लगाए हुए हैं।
आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाग्य आजमाने की तैयारी करने वालों में सूर्यकांता व्यास, कैलाश भंसाली, गोपाललाल जोशी, माणिकचंद सुराना, सुंदरलाल, गुलाबचंद कटारिया, कैलाश मेघवाल एवं नंदलाल मीणा, नवनीत लाल निनाम, कुंजीलाल मीणा सरीखे भाजपा विधायक प्रमुख हैं।
इनमें से हालांकि माणिकचंद सुराना पिछले चुनावों में टिकट कट जाने से भाजपा के बागी के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर जीते थे लेकिन अब इनकी फिर से पार्टी से करीबी को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं वे इसके बैनर तले ही चुनाव लडऩे का प्रयास कर रहे हैं।