जयपुर। अलवर के राजगढ़ में मंदिर तोड़ने के मामले को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है। बीजेपी जहां मंदिर तोड़ने के लिए सरकार को दोषी ठहरा रही है तो वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस मंदिर तोड़ने के लिए राजगढ़ पालिका को जिम्मेदार बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि राजगढ़ में भाजपा का बोर्ड है और भाजपा के बोर्ड की सहमति से ही मंदिर टूटा है।
इस मामले में आज जलदाय मंत्री महेश जोशी का भी बयान सामने आया है। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि बीजेपी लोगों को भड़का कर खुद की गलती का ठीकरा सरकार के माथे फोड़ना चाह रही है। जोशी ने कहा कि राजगढ़ पालिका में बीजेपी का बोर्ड है और 35 में से 34 पार्षद बीजेपी के हैं।
पालिका बोर्ड की सहमति से मंदिर तोड़ा गया है तो इसके लिए कांग्रेस सरकार कहां से जिम्मेदार हो गई? पालिका बोर्ड ने मंदिर तोड़ने की परमिशन दी। जोशी ने कहा कि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के समय भी जयपुर में सैकड़ों मंदिर तोड़ दिए गए थे। उस वक्त तो न प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और न ही जयपुर नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड था। जोशी ने कहा कि बीजेपी को कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि वह मंदिर तोड़ने के मामले में कांग्रेस पार्टी पर सवाल खड़े करें।
फोटो फोटो खिंचवाने से कोई दोषी नहीं होता
वहीं मुख्यमंत्री आवास पर हुए रोजा इफ्तार में छबड़ा हिंसा के आरोपी की मौजूदगी के भाजपा के सवाल पर महेश जोशी ने कहा कि रोजा इफ्तार पार्टी में हजारों लोग आते हैं अब इस बात को छोड़ना पड़ेगा कि कौन किस पार्टी में शामिल हो गया और किसके साथ फोटो खिंचवा ली।
महेश जोशी ने कहा कि मेरे साथ अगर कोई फोटो में खड़ा है और उसने कोई अपराध किया है तो उसकी उसकी सजा उसे कानून देगा। जलदाय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का स्पष्ट मत है कि हर गलती कीमत मांगती है और जो कानून तोड़ने का काम करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कानून की पालना करते हैं सीएम जब कार में बैठते हैं तो सीट बेल्ट लगा कर बैठते हैं। इसलिए उनके पास नैतिक अधिकार है कानून की पालना कराने का। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री आवास पर हुए रोजा इफ्तार कार्यक्रम में छबड़ा हिंसा के आरोपी की मौजूदगी पर बीजेपी ने सवाल खड़े खड़े करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरा था।