जयपुर/ राजस्थान में वर्तमान में शिक्षा विभाग का हाल यह है कि पदोन्नति अभाव में जहां उच्च अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं तो वहीं दूसरी ओर सैकड़ों एपीओ (APO) प्रिंसिपल और व्याख्याता नियुक्तियों के इंतजार में बैठे हैं सरकार द्वारा इन सभी एपीओ कार्मिकों को बिना काम के ही बैठे-बैठे लाखों रुपए का वेतन चुकाया जा रहा है ।
शिक्षा मंत्री और विभाग के उच्च अधिकारियों की ढीली कार्यप्रणाली के कारण सरकार को बैठे-बैठे इन कार्मिकों को वेतन चुकाना पड़ रहा है तो दूसरी और स्कूलों में अध्यापन कार्य और अन्य व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है ।
शिक्षा विभाग में शिक्षा निदेशक के रूप में पूर्व शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी(IAS) और वर्तमान शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल(IAS) के कार्यकाल में विभाग में कई नवाचार हुए जिसकी सभी स्तर पर सराहना हुई विभागीय कार्यप्रणाली जैसे जांचों का निस्तारण कोर्ट प्रकरणों का निस्तारण अनुकंपा नियुक्ति में त्वरित गति से कार्यवाही उल्लेखनीय है ।
लेकिन शिक्षा विभाग की बागडोर अर्थात मंत्रालय का कार्यभार डॉक्टर बी डी कल्ला के संभालने के बाद से ही विभाग में पदोन्नतियों और तबादलों के कार्यों में लापरवाही और बहुत ज्यादा शिथिलता आ गई है।
स्थिति यह है कि विभाग में J D और DD के पद के लिए पदोन्नति लंबित पड़ी है जोकि बा मुश्किल एक दिन का काम है वो जुलाई और अगस्त माह तक ही हो जानी चाहिए थी लेकिन आज तक नहीं हो पाई । 2022- 23 की DEO की डीपीसी भी बाकी (ड्यू) हो चुकी है उस पर भी कोई कार्यवाही विभाग नहीं कर रहा है ।
इसी तरह हाल ही में सरकार ने समग्र शिक्षा में और अन्य जगह प्रति नियुक्तियों पर लगे प्रिंसिपल स्तर के कार्मिक और व्याख्याता स्तर के कार्मिकों की प्रतिनियुक्तियां समाप्त कर उनको एपीओ (APO) कर दिया ऐसे कार्मिकों की संख्या सैकड़ों में है इन सभी एपीओ कार्मिकों को निदेशालय ने संभाग और जिला मुख्यालय पर लगा रखा है और व्याख्याता तो बीकानेर में है ड्यूटी दे रहे है जहां केवल यह सवेरे ड्यूटी टाइम पर आते हैं और हस्ताक्षर करके निकल जाते हैं या फिर बैठे रहते हैं कोई काम उनके पास नहीं होता और इस तरह सरकार द्वारा पिछले 1 माह से इन सभी को बैठे-बैठे लाखों रुपए की तनख्वाह दी जा रही है।
जबकि दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल और व्याख्याताओं के अभाव में व्यवस्थाएं चरमरा रही है । शिक्षा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला और विभाग के उच्च अधिकारियों की इस ढीली कार्यप्रणाली के कारण एपीओ बैठे कार्मिकों को मोटी तनख्वाह बिना काम लिए चुकानी पड़ी रही है और फील्ड में व्यवस्थाएं भी गड़बड़ा रही है जिससे सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है ।
ऐसे ही हाल महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के है जहां संस्था प्रधानों को पोस्टिंग दे कर उसको निरस्त कर दिया गया वहां भी व्यवस्था गड़बड़ा रही है। इन स्कूलों मे अध्यापकों की नियुक्ति जो साक्षात्कार के माध्यम से हर जिले में की जा रही है उस प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे है सरकार के सब से बड़े विभाग में ऐसे हालात बेहद चिंताजनक है ऐसे में उच्च स्तर पर त्वरित कार्यवाही की आवश्यकता है ।