राजस्थान में बजरी की समस्या खत्म, बजरी माफियाओं की सरकार ने तोडी कमर

Memorandum given to the collector for illegal mining of gravel by going beyond the official rules of the mining department by gravel mafias without demarcation in Banas river

जयपुर/ मुख्यमंत्री गहलोत कि सरकार ने राजस्थान में बजरी माफियाओं की कमर तोड़ते हुए आम जनता को बड़ी राहत दी है और टोंक राजसमंद जिले में दो बजरी खनन के कुल 3 पट्टे जारी किए हैं इस तरह अब उदयपुर संभाग जयपुर और कोटा में बद्री की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो गई है ।

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की है अग्रवाल के अनुसार इससे पहले राज्य सरकार द्वारा जालौर में दो व भीलवाड़ा में एक बजरी खनन पट्टे जारी किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि अब जयपुर, कोटा और उदयपुर में बजरी की समस्या पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी वहीं समूचे प्रदेश की कुल मांग की 25 प्रतिशत से भी अधिक बजरी की मांग पूरी की जा सकेगी।

एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजरी की समस्या से आमनागरिकों को राहत दिलाने के लिए निरंतर समाधान खोजने के निर्देश दिए जाते रहे हैं और मुख्यमंत्री गहलोत के प्रयासों और दिशानिर्देश का ही परिणाम है कि लंबे समय से चली आ रही प्रदेश में वैध बजरी खनन की समस्या और अवैद्य बजरी खनन के कारण आए दिन आ रही समस्याओं के समाधान की राह प्रषस्त हो सकी।

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी होने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा इसी कड़ी में राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर खनिज पट्टों हेतु जारी मंशा पत्रों की वैधता को 13 माह के स्थान पर 68 माह कर दिया है। इससे देवली, राजसमंद, नाथद्वारा में बजरी मंशा पत्रों की वैधता की राह प्रशस्त होने से तीन लीज जारी हो सकी है। उन्होंने बताया कि बजरी से संबंधित सभी प्रकरणों की मोनेटरिंग व समन्वय के लिए अतिरिक्त निदेशक बीएस सोढ़ा को प्रभारी बनाया हुआ है।