जयपुर
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार आमजन और विकासकर्ताओं को राहत देने के लिए बड़ा फैसला कर सकती है। सरकार इस साल प्रदेशभर में जमीनों की कीमत को कम करने पर विचार कर रही है। साथ ही आमजन के नगरीय निकायों, यूआईटी, विकास प्राधिकरण से संबंधी तमाम कार्यों पर शिथिलता मिले इसके लिए प्रशासन शहरों के संग अभियान शुरू करेगी।
बुधवार को स्वायत्त शासन भवन में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन दोनों अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में स्वायत्त शासन विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन, निदेशक पवन अरोड़ा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। बैठक के बाद धारीवाल ने बताया कि भाजपा सरकार ने जमीनों की डीएलसी दरों में बेहताशा 40 फीसदी तक की वृद्धि कर दी थी, जिसका सीधा असर आमजन के अलावा स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा। दरें बढऩे से स्थानीय निकायों की जमीन बिक्री बंद हो गई। इससे निकायों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई और खजाना खाली हो गया। अब हम डीएलसी दरें कम करने पर विचार कर रहे हैं ताकि निकायों की आर्थिक स्थितियों को मजबूत किया जा सके और शहरों में विकास के कार्यों को गति मिल सके।
कैबिनेट में रखे जाएंगे प्रस्ताव
धारीवाल ने बताया कि अभियान और डीएलसी दरों को कम करने वाले इन मसौदों को कैबिनेट से मंजूरी दिलवानी जरूरी है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे जल्द से जल्द इसके प्रस्ताव तैयार करें ताकि कैबिनेट की बैठक में रखकर इन्हे अमलीजामा पहनाया जा सके।
डीएलसी दर से न केवल जमीनों की कीमतों और उनकी रजिस्ट्रियों पर लगने वाली राशि में कमी होती है बल्कि कॉलोनियों-भूखण्डों के नियमन की दरें भी निर्धारित होती है। डीएलसी दरों के आधार पर ही लीज मनी, पुनर्ग्रहण शुल्क, भवन मानचित्रों के अनुमोदन पर लगने वाला शुल्क सहित अन्य कई तरह के शुल्क निर्धारित होते है।
नगरीय निकायों में भूखण्डों के पट्टे, नाम हस्तांतरण, उपविभाजन-पुनर्गठन, एकमुश्त लीज में छूट, आवासों का नियमितिकरण, कॉलोनियों का नियमन जैसे कई कार्य के लिए लोगों को सैकड़ों चक्कर लगाने पड़ते है। इनसे राहत देने के लिए सरकार जल्द प्रशासन शहरों के संग अभियान शुरू करेगी। वर्ष,2008-2013 तक के कार्यकाल में भी सरकार ने ये अभियान चलाकर इन कार्यों को करवाने के लिए शिविर लगवाए थे और आमजन को राहत दी थी। उसी आधार पर एक बार फिर सरकार शिविर लगाने की तैयारी कर रही है। इन शिविरों में कार्यों को न केवल एक स्थान पर किया जाता है, बल्कि तमाम तरह की वित्तीय, तकनीकी शिथिलताएं भी दी जाती है।