जयपुर/ राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए बेटी का आवेदन केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता ।
क्योंकि उसने बाद में शादी कर ली है हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री शिक्षा निदेशालय के निदेशक और जैसलमेर कलेक्टर जैसलमेर के जिला शिक्षा अधिकारी को 3 माह का समय देते हुए परिवादी को अनुकंपा नियुक्ति देने के साथ ही सन 2008 से ही सारे लाभ और परी लाभ देने के आदेश जारी किए हैं ।
राजस्थान के शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध कोटा के 200/12 बजाज खाना क्षेत्र में रहने वाली केशमा चतुर्वेदी पुत्री आनंद प्रकाश चौबे पत्नी कुलदीप चतुर्वेदी ने जयपुर हाई कोर्ट में एक रिट पिटिशन7366/2013 अपने अधिवक्ता सौशील समदराई के जरिए दायर की थी इस पीटीशन पर हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2022 को महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
केशमा चतुर्वेदी ने कोर्ट में दायर की पीटीशन में बताया था कि उसके पिता आनंद प्रकाश चौबे वरिष्ठ अध्यापक अंग्रेजी जैसलमेर में पद स्थापित थे और नौकरी के दौरान ही उनका 29 /11/ 2008 को निधन हो गया और परिवार की ओर से अनुकंपा नियुक्ति के लिए उसने शिक्षा विभाग में 12 दिसंबर 2008 को आवेदन किया।
लेकिन 1 साल तक उसे नीति नहीं मिल पाई और इसी दौरान 1 दिसंबर 2009 को उसकी शादी कुलदीप चतुर्वेदी से कोटा हो गई इस पर विभाग ने उसका आवेदन यह कहते हुए लौटा दिया कि अब उसकी शादी हो गई है इसलिए उसको उसके पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति अर्थात नौकरी नहीं दी जा सकती इस पर उसने पहले जोधपुर और फिर बाद में जयपुर हाई कोर्ट में शरण ली।
हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश ने केशमा चतुर्वेदी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए की इससे पूर्व भी ऐसे कई मामलों में प्रदेश और अन्य राज्यों में अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर बेटियों को शादी के बाद भी नौकरी दी गई है माननीय नया देश में सभी तर्कों और सरकारी वकील की दलील ओ तथा बहस सुनने के बाद परिवादी केशमा चतुर्वेदी के के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए ।
केशमा के हक में फैसला देते हुए निर्णय दिया कि केशमा चतुर्वेदी को शिक्षा विभाग 12- दिसंबर 2008 से ही सारे लाभ और परी लाभ देते हुए उसे नियुक्ति दी जाए साथ ही हाईकोर्ट में राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल
सेक्रेट्री(ACS) और शिक्षा निदेशालय बीकानेर के शिक्षा निदेशक तथा जिला कलेक्टर जैसलमेर और जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी जैसलमेर को आदेश दिया कि वह इस आदेश की 3 माह में पालना करते हुए कोर्ट को इस से अवगत कराएं।