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जयपुर उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में श्रमिकों, गरीब तबके के व्यक्ति, किसान, पिछडे़ वर्ग के श्रमिकों को रोजगार देकर आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महानरेगा में दिव्यांगों एवं बुजुर्गो को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए अलग से प्रावधान बनाया जायेगा। पायलट ने कहा कि महानरेगा के क्रियान्वयन में राजस्थान पूरे देश में दूसरे स्थान पर है।पायलट गुरूवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ महात्मा गांधी नरेगा संवाद कार्यक्रम में सभी जिलों से आये प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महानरेगा को प्रदेश में ही नहीं देश में उच्च पायदान पर पहुंचाना है इसके अन्तर्गत जल संरक्षण और प्रबंधन, जल संचय, भू-जल पुनर्भरण आदि कार्य शामिल किये गये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में महात्मा गांधी नरेगा योजना एक मांग आधारित योजना है। जिसमें ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार की मांग को प्राथमिकता दी गई है।उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संवाद लोकतंत्र में मूलभूत भावनाओं का प्रतीक है, सभी के साथ संवाद होना चाहिए। संवाद स्थापना की शुरूआत पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने की थी। उन्होंने कहा कि महानरेगा के क्रियान्वयन में जो भी कमी हो उसे ढूंढ़कर स्वीकार करना तथा उनमें सुधारकर नये आयाम स्थापित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार उपलब्ध कराने एवं कार्यो को पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच, संकल्प शक्ति एवं होंसले बुलंद होने चाहिए।उन्होंने कहा कि सामाजिक अंकेक्षण (सोशल आडिट) के लिए स्वतंत्रा सोसायटी का गठन किया जायेगा जिसके माध्यम से पारदर्शिता से सोशल आडिट करवायी जायेगी।इस अवसर पर उपस्थित महानरेगा प्रतिनिधियों ने पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में शैक्षणिक बाध्यता समाप्त किये जाने पर उप मुख्यमंत्री का आभार जताया। इस मौके पर पायलट ने महानरेगा के अन्तर्गत चारागाहों को विकसित करने के सम्बन्ध में लगायी गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।महात्मा गांधी नरेगा के आयुक्त पी.सी. किशन ने संभागियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि प्रदेश में महानरेगा के तहत जल संरक्षण एवं प्रबध्ंन, एनिकट, चारागाह विकास एवं विभिन्न कार्यों को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में चारागाह विकास, श्मशान, कब्रिस्तान, विकास कार्य, माॅडल तालाब, खैल मैदान एवं फार्म पौण्ड-टांका को प्राथमिकता से करवाये जा रहे है ये ही कार्य अब राजस्व गांव में भी शुरू किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि काम के आवेदन की रसीद का फार्म नं. 6 हर पंचायत से उसकी रसीद दिला सुनिश्चित करेंगे।संवाद कार्यक्रम में सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान से जुड़े निखल डे ने कहा कि मजदूर, समाजिक संगठन, सरकारी अधिकारी व जनप्रतिनिधि मिलकर संवाद करते है। संवाद के माध्यम से जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। आज का संवाद उसी का एक प्रयास है।संवाद के दौरान श्रमिकों एवं संगठनों द्वारा सामग्री का भुगतान नहीं होने, अधिकांश महिला मेट लगाये जाने, मजूदरों को औजार भत्ता, मस्टररोल में क्राॅस आना आदि की समस्याऐं बताई गई।इस अवसर पर फाउण्डेशन फोर इकोलोजीकल सिक्यूरिटी की और से चारागाह विकास व सामलात एवं राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा पूरा का पूरा दाम पर प्रदर्शनी लगाई गई।इस अवसर पर संवाद में विधायक भीम, अतिरिक्त आयुक्त(प्रथम), ईजीएस विश्राम मीना, परियोजना निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव राजेन्द्र सिंह कैन, अधीक्षण अभियंता अरूण सुराणा, सामाजिक अंकेक्षण निदेशक सुल्तान सिंह सहित विभाग के पी.के. रावत, संगीता जैन, सामाजिक संगठनों की ओर से श्याम लाल पुरोहित, तोलाराम चैहान, शान्तनु सिन्हा, रिचा औदित्य, शंकर सिंह, पारस, मुकेश निर्वासित आदि उपस्थित रहें।
जयपुर
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में श्रमिकों, गरीब तबके के व्यक्ति, किसान, पिछडे़ वर्ग के श्रमिकों को रोजगार देकर आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महानरेगा में दिव्यांगों एवं बुजुर्गो को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए अलग से प्रावधान बनाया जायेगा। पायलट ने कहा कि महानरेगा के क्रियान्वयन में राजस्थान पूरे देश में दूसरे स्थान पर है।
पायलट गुरूवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ महात्मा गांधी नरेगा संवाद कार्यक्रम में सभी जिलों से आये प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महानरेगा को प्रदेश में ही नहीं देश में उच्च पायदान पर पहुंचाना है इसके अन्तर्गत जल संरक्षण और प्रबंधन, जल संचय, भू-जल पुनर्भरण आदि कार्य शामिल किये गये हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में महात्मा गांधी नरेगा योजना एक मांग आधारित योजना है। जिसमें ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार की मांग को प्राथमिकता दी गई है।