Bikaner News।अखिल राजस्थान संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मनीष विधानी ने कहा कि प्रदेश का मंत्रालय कर्मचारी शासन की रीढ़ होता है क्योंकि सभी विभागों के प्रशासनिक दायित्व को भली-भांति त्याग, तपस्या और बलिदान का गुण अपनाकर अपना राज्य कार्य पूर्ण निष्ठा से संपादित करता है। सरकारें आयीं और चली गयीं लेकिन कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी गयीं।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने मांगों को लेकर 5 फरवरी को प्रदेशभर के मंत्रालयिक कर्मचारी, सहायक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा भी की। विधानी ने कहा कि वर्तमान में मंत्रालयिक कर्मचारियों की स्थिति यह है कि कोई भी विभाग्य जॉब चार्ट निर्धारित नहीं होने से मंत्रालय कर्मचारी ना तो तृतीय श्रेणी सेवाओं में आ रहा है, ना ही चतुर्थ श्रेणी एवं काम दोनों ही करता है। हाल ही में इस कोविड-19 काल में मंत्रालयिक कर्मचारियों द्वारा मांगों के विषय में सोशल मीडिया की सहायता लेकर विशाल ट्विटर अभियान चलाया, जिसमें बड़ी संख्या में 11 लाख ट्वीट किए गए। इसके अतिरिक्त भी प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों अलग-अलग तरीके अपना कर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।
अल्प वेतनभोगी मंत्रालयिक कर्मचारीयों का हमेशा ही राज्य सरकार द्वारा शोषण किया गया है। आर्थिक शोषण किया गया। यही नहीं राज्य सरकार ने सातवें वेतनमान में वेतन कटौती कर कर पे मैट्रिक्स लैब में उलझा कर इस अंतर को और भी गहरा कर दिया है, जिसके कारण सरकार की रीढ़ की हड्डी समझे जाने वाला यह सब अपने आप को ठगा सा अति पिछड़ा मानने को मजबूर है। प्रदेश के मंत्रालय के संगठनों के बार.बार सरकार को मांगों पर ज्ञापन भिजवाने के पश्चात भी सरकार मंत्रालयिक कर्मचारियों की मांगों को दरकिनार कर रही है जिससे प्रदेश के मंत्रालय कर्मचारियों में भारी असंतोष व्याप्त हो गया है।
शासन की रीढ़ कहे जाने वाले इस संवर्ग के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। इन सभी मांगों पर सरकार शीघ्र आदेश नहीं होने की स्थिति में अब मजबूरन प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारियों को आंदोलन का रास्ता अपनाना ही पड़ रहा है । तत्पश्चात भी हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं किया जाता है तो हमें मजबूरन पेन डाउन करना पड़ेगा। मांगे नहीं मानने की स्थिति में, संघ द्वारा कभी भी पेन डाउन की घोषणा की जा सकती है।