भीलवाड़ा/ राजस्थान में सरकार शिक्षा के लिए कई नवाचार करते हुए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है ताकि हर बच्चे को गांव गांव ढाणी ढाणी तक शिक्षा मिले लेकिन आश्चर्य की बात है कि राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के राजस्थान सरकार के राजस्व मंत्री के विधानसभा क्षेत्र मांडल ब्लॉक में ऐसा स्कूल है।
जहां 21 साल से मात्र एक शिक्षक है और विद्यार्थियों की स्थिति यह है कि उन्हें अपने स्कूल का नाम हिंदी तक में नहीं लिखना आता जो सरकार के साथ-साथ विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल खोलता है।
भीलवाड़ा जिले के तथा राजस्थान सरकार में कैबिनेट राजस्व मंत्री रामलाल जाट के विधानसभा क्षेत्र मांडल के मांडल ब्लॉक में स्थित टंहुका ग्राम पंचायत मैं स्थित भीलो का खेड़ा राजकीय प्राथमिक विद्यालय अनुसूचित जनजाति एवं जनजाति के करीब 35 विद्यार्थियों का नामांकन है और इस विद्यालय में टंहूका गांव निवासी जो स्कूल से मात्र 2 किलोमीटर दूर गांव में के शिक्षक सुरेश कुमार नियुक्त हैं।
21 सालों में उनका तबादला कहीं भी नहीं हुआ और वैसे स्कूल में पद स्थापित हैं और इस विद्यालय की स्थिति यह है कि यहां कोई चौपहिया वाहन नही जा सकता इस विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपने विद्यालय का नाम हिंदी में और अंग्रेजी में तक लिखना नहीं आता है ।
यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक (मुख्यालय)(DEO) डॉक्टर महावीर शर्मा 3 दिन पूर्व शनिवार को मोटरसाइकिल लेकर उस गांव में उसी स्कूल में निरीक्षण के लिए गए और वहां जाकर देखा और विद्यार्थियों से पूछा तो यह खुलासा हुआ ।
यह चिंताजनक स्थिति देखकर जिला शिक्षा अधिकारी डॉ शर्मा ने तत्काल संबंधित मांडल ब्लॉक के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मधु सामरिया को अवगत कराते हुए 1 सप्ताह तक इस विद्यालय पर नजर रख रिपोर्ट मांगी है इसी के साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक डॉ महावीर शर्मा ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है।
आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा विभाग में इन सब पर निगरानी रखने के लिए व्यवस्थाओं के तहत जिला शिक्षा अधिकारी नीचे स्तर पर संकट के रूप में सीबीईओ और उसके बाद तीन और अधिकारी उनके नीचे लगा रखे हैं।
लेकिन इसके बाद भी दूरदराज की स्कूलों की यह हालत है यह तो एक मात्र भीलवाड़ा जिले का उदाहरण है राजस्थान में ऐसे और भी कई स्कूल है जहां की कमोबेश स्थिति यही हो सकती है