भीलवाड़ा/ विधानसभा चुनाव 2023 के मतगणना में अब मात्र चंद घंटे बचे हैं। कौन हारेगा कौन जीतेगा अगले 24 घंटे में तस्वीर साफ हो जाएगी। जिले की सभी सात विधानसभा सीटों पर क्या रहेगी स्थिति इस बारे में हमारे चीफ रिपोर्टर चेतन ठठेरा द्वारा किए गए सर्वे और आकलन में यह तस्वीर ऊपर कर सामने आई है ।
भीलवाड़ा शहर विधानसभा सीट पर भाजपा कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच में त्रिकोणीय मुकाबला रहा इस मुकाबले में भाजपा एक बार फिर अजय बढत की ओर है तथा भाजपा प्रत्याशी विट्ठल शंकर अवस्थी कांग्रेस प्रत्याशी ओम नारायणीवाल तथा निर्दलीय प्रत्याशी अशोक कोठारी के बीच हुए मुकाबले में विट्ठल शंकर अवस्थी लगातार चौथी बार विधानसभा में पहुंचेंगे ऐसा अब तक किए गए सर्वे और आकलन में सामने आया है नंबर दो और नंबर तीन पर कौन रहेगा ओम नारायणीवाल या अशोक कोठारी ?
जिले की सबसे हॉट सीट मांडल विधानसभा मैं मुख्य मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्व मंत्री रामलाल जाट तथा भाजपा के उदय लाल भड़ाणा के बीच रहा । भडाणा पहली बार पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं ।
रामलाल जाट विकास के बाद भी क्षेत्रीय जनता और मतदाताओं की नाराजगी उन पर भारी पड़ती नजर आ रही है जाट की कुछ कमजोरियां भी उनके लिए नुकसानदेही साबित होती नजर आ रही है और यहां से वह चुनाव हार रहे हैं और भाजपा एक बार फिर इस सीट पर जीत दर्ज करने की ओर अग्रसर है
जहाजपुर विधानसभा सीट एक बार फिर लगातार दूसरी बार भाजपा के खाते में जा रही है यहां से भाजपा प्रत्याशी गोपी मीणा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं गुर्जर लगातार दूसरी बार हार की ओर अग्रसर है इसका मुख्य कारण उनकी तथा उनके भाई की कार्य प्रणाली प्रमुख है जो उन्हें भारी पड़ रही है ।।
रायपुर-सहाडा विधानसभा सीट इस बार कांग्रेस की झोली से भाजपा की झोली में जाती हुई नजर आ रही है यहां से भाजपा के लादू लाल पितलिया और कांग्रेस के राजेंद्र त्रिवेदी के बीच मुकाबला रहा। कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक रहे स्वर्गीय कैलाश त्रिवेदी के भाई को मैदान में उतारा त्रिवेदी की राजनीतिक पकड़ अच्छी है लेकिन दूसरी और भाजपा के पितलिया व्यक्तिगत व्यवहार संपर्क और फिर पार्टी का वोट बैंक उनके लिए राह आसान कर रहा है
मांडलगढ़ विधानसभा सीट इस बार भाजपा के खाते से निकलकर कांग्रेस की झोली में जाती हुई नजर आ रही है यहां भाजपा ने अपने विधायक गोपाल खंडेलवाल पर भरोसा जताते हुए से मैदान में उतारा और कांग्रेस ने भी अपने हारे हुए विधायक विवेक धाकड़ पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताते हुए।
मैदान में उतारा यहां बदले समीकरण के अनुसार धाकड़ समाज की वोट बैंक का एक तरफ ध्रुवीकरण होना तथा दूसरी ओर कांग्रेस के पहले वाले चुनाव में बागी प्रत्याशी रहे गोपाल मालवीय की मौन स्वीकृति और उनके 60% समर्थकों का कांग्रेस के प्रति झुकाव कांग्रेस के लिए राह आसान कर रहा है तो भाजपा के लिए विधायक की क्षेत्र की जनता में नाराजगी और निर्दलीय प्रत्याशी गुर्जर उनकी राह को मुश्किल कर दिया।
आसींद विधानसभा सीट भी इस बार भाजपा की झोली से निकाल कर कांग्रेस की झोली में जा रही है यहां से भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव 154 वोटो से जीतने वाले विधायक जब्बर सिंह सांखला पर भरोसा जताया है और कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हगामी लाल मेवाड़ा पर दांव खेला मेवाडा मझे मझाएं राजनैतिक खिलाडी है यहां पर भाजपा से बागी हुए धनराज गुर्जर ने आरएलपी से मैदान में उतारकर भाजपा की राह मुश्किल कर दी।
शाहपुरा आरक्षित सीट भी इस बार भाजपा की झोली से खिसक कर निर्दलीय प्रत्याशी कैलाश मेघवाल की झोली में जा रही है। भाजपा ने यहां से लालाराम बैरवा को प्रत्याशी बनाया जो पहले चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस में नरेंद्र रेगर को मैदान में उतारा इनका भी पहले ही चुनाव है और इन दोनों प्रत्याशियों की इस विधानसभा क्षेत्र में कोई खासी उपलब्धि
और बड़ी पहचान नहीं है और इसी का फायदा मेघवाल को अपने पूर्व के कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों का मिल रहा है । मेघवाल ने भाजपा से निष्कासित होने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में ताल ठोकी थी
हालांकि यह एक सर्वे और एक बड़ा आकलन है परंतु वास्तविक तस्वीर 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी