Alwar news । अगर सरकार और प्रशासन चाहे तथे इच्छा शक्ति हो तो सरकारी अस्पताल भी सुविधाओं,व्यवस्थाओं और कार्य प्रणाली मे प्राइवेट अस्पतालो से बेहतर साबित हो सकते है तथा गरीब व सामान्य वर्ग को बेहत्तर इलाज तथा सुविधा मिल सकती है । ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान के अलवर यूआईटी और जिला प्रशासन व अस्पताल प्रशासन ने की अस्पताल की काया ही पलट दी वह भी कोरोना लाॅकडाउन मे इसे देखने के बाद यह नही कह सकता कोई की यह सरकारी अस्पताल है ।
अस्पताल को ऐसा बनाने में जिला प्रशासन, अस्पताल प्रशासन के प्रयासों के अलावा सबसे अधिक अलवर यूआईटी का योगदान है। जिसके जरिए करीब दो माह से अस्पताल परिसर में कार्य जारी है। यूआईटी की टीम के साथ पूर्व सचिव जितेन्द्र सिंह नरूका ने पूरी रुचि ली है। पानी की लाइन व ऑक्सीजन लाइन डालने के कार्य अलग से हुए हैं। हालांकि अभी कई वार्डों के अलावा कुछ काम होना बाकी है।
क्या-क्या कार्य हुए
यूआईटी ने फीमेल वार्ड में शौचालय मरम्मत, मेल सर्जिकल व फीमेल सर्जिकल में शौचालय मरम्मत, कोरोना आइसीयू व सर्जिकल आइसीयू में एल्यूमिनयम पार्टिशन, रंग पेंट कराया है। सभी आइसीयू बैड सेपरेशन किए। पीपीई किट चेंज करने के लिए एल्युमिनियम चैंबर बनाए, ओपीडी के बाहर मरीजों के बैठने की जगह, कोरोना ओपीडी का अलग से रास्ता, अस्पताल में लिफ्ट मरम्मत व विद्युत मरम्मत के कार्य कराए हैं। पानी व गैस की लाइन डालने का कार्य अलग से हुआ है।