राजस्थान में कक्षा 1 से 12वीं तक के कोर्स मे 30% कटौती

Dr. CHETAN THATHERA
4 Min Read

जयपुर/ राजस्थान में स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई में कुछ राहत देते हुए कोरोना काल के बाद विद्यार्थियों पर पढ़ाई के दबाव और बोझ को कम करने के लिए राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल ने पाठ्यक्र ( कोर्स) मैं 30% तक कमी करने का निर्णय लिया है।

और इस निर्णय के अनुसार किताबों का प्रकाशन भी हो चुका है और विद्यार्थियों को यह किताबें अगले सप्ताह से मिलना शुरू हुई हो सकती है 30% कम किए गए कोर्स को लेकर विद्यार्थियों के साथ-साथ उनके परिजनों मन में भी शंका है कि आखिर कोर्स क्यों कम किया गया और जो कम किया गया है पाठ्यक्रम क्या अगले साल पढ़ाया जाएगा।

राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल के सचिव के अनुसार नए शैक्षणिक सत्र 2023-24 के पाठ्यक्रम में 30% की कटौती की गई है। ये बदलाव एनसीईआरटी की तर्ज पर कक्षा 6 से 12वीं तक की किताबों में किए गए हैं। ताकि कोरोना काल के बाद विद्यार्थियों पर किसी तरह का दबाव ना बने। इसके साथ ही विद्यार्थी अच्छी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा हासिल कर सकें।

बदलाव क्या किए गए हैं? 

पाठ्य पुस्तक मंडल की ओर से विशेषज्ञ कमेटी की देखरेख में ही विषय वार अनुपात के आधार पर पाठ्यक्रम में कटौती की गई है। सिर्फ कठिन या सिर्फ सरल विषय को नहीं हटाया गया है।

बल्कि पूरे पाठ्यक्रम को आनुपातिक रूप से ही कम किया गया है। ताकि विद्यार्थी फोकस होकर अच्छे से पढ़ाई कर सकें। राजस्थान की जो भी स्कूल प्रदेश के बोर्ड द्वारा अनुबंधित हैं, वहां पाठ्य पुस्तक मंडल की किताबें ही मान्य होंगी।

नए पाठ्यक्रम के अनुसार प्रिंट हुई 10वीं गणित की किताब जल्द ही विद्यार्थियों को वितरित की जाएगी ।

राजस्थान में पाठ्य पुस्तक मंडल द्वारा एनसीईआरटी की तर्ज पर ही सिलेबस तैयार किया जाता है। इस बार एनसीईआरटी ने अपने पाठ्यक्रम में 30% तक की कटौती की है।

ऐसे में राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल भी अपनी किताबों में 30% तक की कटौती कर रहा है। जिसे नए शैक्षणिक सत्र में कक्षा 6 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए जल्द ही वितरित किया जाएगा।

बच्चों के लिए उनकी सीखने की योग्यता (अधिगम क्षमता) को ध्यान में रखते हुए कोर्स में कटौती करनी चाहिए। इसी आधार पर यह फैसला लिया गया है। यह फैसला राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी के द्वारा किया गया है। यह आधार विश्वव्यापी बना और लगभग सभी देशों में ऐसा हुआ है।

पाठ्यक्रम कीकिताबें राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल ही जारी करता है लेकिन पाठ्यक्रम निर्धारण करने में इसकी कोई भूमिका नहीं होती। पाठ्यक्रम का निर्धारण एससीईआरटी (राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, उदयपुर) ही निर्धारित होता है।

जहां राज्य सरकार द्वारा विषय विशेषज्ञों को पदस्थापित किया हुआ है। कौनसे प्रदेश में क्या पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, सरकार के दिशा निर्देशों के आधार पर तय होता है।

 जब कभी भी कोई पाठ्यक्रम कम किया जाता है, तो ऐसी कोई शर्त नहीं होती है कि वो अगली कक्षा में पढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रम को कम करते समय ही इस बात का ध्यान रखा जाता है कि बच्चों की जितनी सीखने की योग्यता है, उतना ही पढ़ाया जाए।

इसमें शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांतों का पूरा ख्याल रखा जाता है। ऐसे में पाठ्यक्रम कम करने का बच्चों पर सीखने की क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

Share This Article
Follow:
चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम