25 से पहले देश के आधे राज्यों को पारित करना होगा SC, ST आरक्षण

liyaquat Ali
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Jaipur News – अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति(SC /ST ) के लिए 10 साल आरक्षण और बढ़ाने वाले संशोधन के लिए राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाएगी। संसद में पारित  इस संशोधन को देश के कम से कम आधे राज्यों की विधानसभा से 25 जनवरी से पहले पारित करना जरूरी है। जब ही इसे राष्टरपति से मंजूरी मिल सकेगी।

यूपी विधानसभा में पारित हो चुका है। हिमाचल,पंजाब और दिल्ली विधानसभा ने विशेष सत्र बुलाया है। राजस्थान विधानसभा को दस जनवरी तक विशेष सत्र बुलाने के लिए  राज्यसभा  की तरफ से पत्र लिखा गया है। राजस्थान विधानसभा ने यह प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेज दिया है। मामले में राज्य सरकार को तय करना है कि सत्र बुलाया जाना है या नहीं। फिलहाल सरकार की तरफ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आने से यह माना जा रहा है कि  सरकार सत्र बुलाने के पक्ष में नहीं है। सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी का कहना है कि अभी संविधान दिवस पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। बजट सत्र भी आने वाला है ऐसे में सत्र बुलाने की अभी कोई संभावना नहीं दिख रही है।

संसद के दोनों सदनों ने दस दिसंबर को  संविधान ( 126 वां संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया है।  विधेयक के पारित हो जाने से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन कर लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटों का आरक्षण, जो 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा था, उसे 10 वर्ष के लिए 25 जनवरी 2030 तक बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।  विधेयक को केवल संसद के दोनों सदनों की ओर से पारित होने के बाद ही भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं प्राप्त हो जाएगी। संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति से पहले भारतीय गणतंत्र के सभी राज्यों में से कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों की ओर से इसका अनुसमर्थन (रेटिफिकेशन) करना भी आवश्यक है । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 (2 )में यह उल्लेख है।

पिछले साठ वर्षों में छह बार जब-जब संसद की ओर से इस प्रकार का संविधानिक संशोधन किया गया, तब देश के कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों ने  ऐसे ही संबंधित विधेयकों का अनुसमर्थन किया था, जिसके बाद ही तत्कालीन राष्ट्रपति ने उन पर अपनी स्वीकृति दी थी। संविधान के अनुच्छेद 334 में ऐसे आरक्षण की समय सीमा हालांकि मूल रूप से तो संविधान लागू होने के मात्र 10 वर्ष तक के ही की गई थी, 25 जनवरी 1960 तक। वर्ष,1959 में संसद की ओर से संविधान (8 वां संशोधन ) विधेयक,1959 पारित कर इस समय सीमा को संशोधित कर 20 वर्ष 25 जनवरी 1970 तक किया गया। इसके बाद हर दस साल में यह दस साल के लिए बढ़ाया गया है।

लोकसभा में इस समय कुल 543 सीटों में से अनुसूचित जाति के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीटें आरक्षित है। कुल 131 सीटें आरक्षित हैं,जबकि वर्ष 2009 लोकसभा आम चुनावों से पहले यह संख्या 120 होती थी,जिसमें 79 अनुसूचित जाति और 41 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी।  देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति की लिए 614,जबकि अनुसूचित जनजाति की लिए 554 सीटें आरक्षित है। यह व्यवस्था तब ही बनी रहेगी जबकि  25 जनवरी से पहले राष्टï्रपति इस कानून पर हस्ताक्षर करें।

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