भीलवाड़ा /मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के एक प्रतिनिधिमण्डल ने गुरूवार को जयपुर जाकर राज्य के भूजल एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी से राज्य स्तर पर भूजल बोर्ड के शीघ्र गठन करने के संबंध में मुलाकात की।
चैम्बर के प्रतिनिधिमण्डल ने भूजल एवं पीएचईडी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल से भी मुलाकात की। मेवाड़ चैम्बर के मानद महासचिव आरके जैन ने बताया कि आज प्रातः चैम्बर के प्रतिनिधिमण्डल सचिन राठी के नेतृत्व में जयपुर गया।
प्रतिनिधिमण्डल में प्रोसेस हाउस, डाई हाउस एवं टेक्सटाइल उद्योग के वरिष्ठ सदस्यों के साथ जियोलोजिस्ट डॉ दिलीप सिंह एवं राजस्थान टेक्सटाइल मिल्स एसोसियेेशन के सचिव अशोक जैन भी थे।
भूजल बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त नही होने से नये उद्योग नही लग पा रहे
प्रतिनिधिमण्डल ने महेश जोशी के साथ चर्चा में कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य बजट 2022-23 में राज्य भूजल बोर्ड के गठन की घौषणा की थी। लेकिन अभी तक राज्य भूजल बोर्ड का गठन नहीं होने से राजस्थान राज्य में केन्द्रीस भूजल बोर्ड की नीतियां लागू है।
इससे राज्य की औद्योगिक इकाईयों को विस्तारीकरण अथवा नये उद्योग लगाने के लिए केन्द्रीय भूजल बोर्ड को आवेदन करना पड़ रहा है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड से स्वीकृति प्राप्त नही होने से विस्तारीकरण या नये उद्योग नही लग पा रहे है।
ऐसी परिस्थितियों में भीलवाड़ा के कुछ औद्योगिक घराणों ने मध्यप्रदेश के राजस्थान के समीपवर्ती जिलों में औद्योगिक इकाईयां स्थापित की है एवं कुछ ओर औद्योगिक घराणे भी मध्यप्रदेश में औद्योगिक इकाईयां स्थापित करने जा रहे है।
उन्होंने मंत्री को बताया कि केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा 24.09.2020 से जारी नई गाइडलाइन्स के अनुसार सभी उद्योगों को भूजल उपयोग पर ’’ग्राउण्ड वाटर निकासी एवं रेस्टोरेशन चार्जेज’’ उद्योग श्रेणी अनुसार प्रति केएलडी प्रतिदिन के अनुसार देने होगें।
10 केएलडी प्रतिदिन से कम भूजल उपयोग वाले उद्योगों को इससे छुट दी गई है। साथ ही उद्योगों के लिए भूजल निकासी पर एम्पेक्ट एसेसमेन्ट रिपोर्ट एवं वाटर ऑडिट रिपोर्ट देना भी आवश्यक किया गया है।
राज्य अपने स्तर पर बना सकते है भूजल बोर्ड
केन्द्रीय भूजल बोर्ड के प्रावधानों के अनुसार राज्य अपने स्तर पर भूजल बोर्ड बनाकर राज्य की परिस्थितियों के अनुसार नियम बना सकते है। विभिन्न राज्यों ने अपने राज्य की परिस्थिति के अनुसार राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बनाकर अपने नियम एवं गाइडलाइन्स बनाई है।
तीन बडे औद्योगिक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा ने राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बनाकर अपने राज्य के उद्योगों को केन्द्रीय भूजल बोर्ड के दायरे से अलग कर लिया है।
अन्य राज्य यथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, गोवा में पहले ही राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बने हुए है। अतः मुख्यमंत्री की बजट में घोषणा के अनुसार राज्य भूजल बोर्ड का गठन शीघ्र किया जाए।