बारां / फ़िरोज़ ख़ान । ग्राम लकडाई में पुलिस द्वारा ग्रामीणों, महिलाओं एवं बच्चों पर किए गए लाठीचार्ज की प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करने, पीडितों का मेडिकल करवाने, पुलिस द्वारा पीडितों की रिपोर्ट दर्ज करने तथा दोषी पुलिस कार्मिकों को निलम्बित किए जाने की मांग को लेकर आज जिला कांग्रेस कमेटी, बारां द्वारा जिलाध्यक्ष रामचरण मीणा के नेतृत्व में जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया।
कांग्रेस जिला संगठन महामंत्री कैलाष जैन ने बताया कि आज जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेसजनों ने पीडितों के खिलाफ पुलिस द्वारा जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें एफआर लगवाते हुए लाठीचार्ज में घायल पीडित व्यक्तियों का मेडिकल करवाए जाने, पुलिस थाने में पीडितों की एफआईआर दर्ज करवाने तथा दोषी पुलिस कार्मिकों को निलम्बित करने की मांग की गई।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामचरण मीणा ने जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक, बारां को ज्ञापन पत्र सौंपते हुए बताया कि 26 जनवरी, 2024 को जहां पूरा देश लोकतंत्र का महोत्सव मना रहा था वहीं उस दिन बारां जिले के आदिवासी क्षैत्र के छोटे से गाँव लकडाई में एक सरकारी स्कूल में कार्यरत दलित महिला प्रबोधक को क्या पता था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य में आज भी राजतांत्रिक तानाशाही का बोलबाला है जिस मानसिकता के चलते।
इस दलित महिला को निलंबन का तो सामना करना ही पड़ा साथ ही इनका मुख्यालय घर परिवार से दूर बीकानेर कर दिया गया। इस दलित महिला की गलती केवल मात्र इतनी सी थी कि इन्होंने गणतंत्र पर्व पर सिर्फ महापुरुषों की ही तस्वीरे लगाई। इस बेहद ही अनुचित कार्यवाही के विरोध में 27 फरवरी 2024 को जब विद्यालय के बालक-बालिकाएँ और ग्रामीण महिलाओं ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहा तो जिला पुलिस ने सत्ता पक्ष के तानाशाही नेताओं के इशारे पर बेहद ही बर्बर और दमनात्मक कार्यवाही करते हुए इन गरीब, दलित महिलाओं और नाबालिग बच्चियों को घसीट-घसीटकर पीटा और डण्डे बरसाए जिनके निशान 02 मार्च को इस घटनाक्रम का जायजा लेने गाँव में पहुंचे पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया, पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल, निर्मला सहरिया को दिखाए।
पूर्व विधायक पानाचन्द मेघवाल ने कहा कि आश्चर्य का विषय यह है कि मानवता को झकझोर देने वाली पुलिस प्रशासन की इस कार्यवाही में महिला पुलिस तक नहीं थी तथा पुरुष पुलिसकर्मियों ने ही सत्ता पक्ष के दबाव में दलित महिलाओं एवं बालक-बालिकाओं के साथ यह बलपूर्वक कार्यवाही की जिससे पूरे गाँव के दलित वर्ग और इनके समर्थन में आए ग्रामीणों में दहशत का माहौल है तथा रोजमर्रा के सामान लाने के लिए इन लोगों के निकटवर्ती कस्बे नाहरगढ में जाने के रास्ते भी बंद कर दिये जाने से कई परिवारों को तो खाने दाने से भी वंचित होना पड़ रहा है एवं यहाँ पर इन लोगों का जीना दूभर हो गया है।
मेघवाल ने कहा कि इस घटना से राज्य सरकार और पुलिस का दोहरा चाल चरित्र सामने आया है। जो पुलिस दलितों, महिलाओं और बच्चों में सुरक्षा का माहौल बनाने की बात करती है वही पुलिस स्वयं इन वर्गों के खिलाफ इस तरह की बर्बर कार्यवाहियाँ कर रही है जो कानूनी मायनों में अपने आप में गंभीर अपराधों की श्रेणी में आते हैं।
जैन ने बताया कि आज लकडाई गांव के पीडितों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए ज्ञापन के दौरान मांगरोल ब्लाॅक अध्यक्ष रामस्वरूप बैरवा, मण्डल अध्यक्ष उमेष नागर, सेवादल के अषरफ देषवाली, पूर्व ब्लाॅक अध्यक्ष बनवारी मीणा माथना, नगर अध्यक्ष बारां प्रषान्त भारद्वाज, पार्षद पीयूष सोनी, एडवोकेट लालसिंह मारन, अंकुर सक्सेना, सीताराम मेघवाल नियाना, राजाराम मीणा आदि उपस्थित रहे।