पधारो म्हारे देश: काले हिरणों का स्वर्ग है तालछापर

 

जयपुर। राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ तहसील में छापर गांव में स्थित ताल छापर सेंचुरी अपने काले हिरणों और अलग-अलग प्रकार के खूबसूरत पक्षियों के लिए जाना जाता है। सेंचुरी का नाम इसी छापर गांव के नाम पर रखा गया है।

समुद्रतल से 302 मीटर ऊंचा ये अभ्यारण्य पक्षियों की चहचहाट से गूंजता रहता है। काले हिरणों और देश-विदेश से आए पक्षियों को देखने के लिए यहां टूरिस्टों का जमावड़ा लगता है।ताल छापर अभ्यारण्य में वाटर फाउल, गेडवेल, पोचार्ड, एवोसेट, प्लोवर, स्टींट, सेड पाईपर, रफा, टील जैसे पक्षियों को देखा जा सकता है। मानसून खत्म होते ही डेमोजिएल क्रेन (कुरंजा), कोमन क्रेन, रेडी सैल डक, कोमन शेल डक, फ्लेमिंगो, मालार्ड, बारहेडेड गीज, बेजर्ड, इगल, आउल और वल्चर देखे जा सकते हैं।

इनके अलावा कुछ दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों को भी देखा और कैमरे में कैद किया जा सकता है। इनमें येलो आइड पीजऩ, बाईमा क्यू लेटेड लार्क, वाटर पीपीट, रेड टेल्ड व्हीटियर, स्टोलिकाज, सोसिएबल लेपविंग, यूरेशियन स्काई लार्क और लेसर कैस्ट्रोल खास हैं।

जैव विविधता और पर्याप्त मात्रा में भोजन की वजह से ये अभ्यारण्य कजाकिस्तान, रूस, साईबेरिया और मंगोलिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों से गुलजार रहता है। सेंचुरी में दूर-दूर तक घास के मैदान और कुछ गिने-चुने पेड़ नजर आते हैं।

सितंबर महीने में यहां पक्षियों को आना शुरू होता है जो पूरी सर्दियों भर यहां रहते हैं। ताल छापर में एक खास तरह की घास पाई जाती है जिसे स्थानीय भाषा में मोथिया कहा जाता है जिसका हिंदी में मतलब मोती होता है। इस घास के बीज दिखने में बिल्कुल मोती जैसे होते हैं। जो काले हिरणों से लेकर पक्षियों तक का पसंदीदा भोजन है और स्वाद में मीठा होने की वजह से यहां के लोग भी इसे खाते हैं।
ऐसे पहुंचे यहां

चुरू से 85 किमी दूर ये अभ्यारण्य नोखा-सुजानगढ़ हाइवे पर स्थित है। टूरिस्ट यहां से बस और टैक्सी लेकर ताल छापर सेंचुरी पहुंच सकते हैं। जयपुर यहां तक पहुंचने का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है। जहां से सेंचुरी की दूरी 215 किमी है। ताल छापर सेंचुरी जाने का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन छापर है।

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