नाट्य निर्माण की प्रक्रिया में राजकुमार रजक का मार्गदर्शक रहा
टोंक। मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों को सरल और सहज भाव से समकालीन समस्याओं के दृश्य को उकेरा हैं।एक भारतीय यथार्थवादी रचना के तौर पर विद्द्यालयों के पाठ्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को शामिल किया जाता रहा हैं।
इनकी कहानी बड़े भाईसाहब भी इनकी तमाम प्रभावी कहानियों में से एक हैं जिसमे लेखक ने शिक्षा प्रणाली का एक यथार्थ चित्रण कर रटंत के व्यवहारवाद पर भी प्रहार किया हैं।
इसी अवसर पर मुंशी प्रेमचंद की 138 वी जयंती पर एक्स्ट्रा एन आर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में कम्युनिटी थिएटर टोंक के द्वारा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन में नाटक का मंचन किया गया। बड़े भाईसाहब नाटक का निर्देशन मोहित वैष्णव ने किया।
मंच पर मुंशी प्रेमचंद रामरतन गुगलिया,पिताजी दीपक कुमार,बड़े भाईसाहब मुकेश थरवान, छोटा भाई चितरंजन नामा, दोस्त अमन तसेरा,रवि चावला,नीलेश तसेरा ने अपने अभिनय से दर्शकों को बहुत हँसाया।
नाटक के सेट को फ़िरोज़ आलम ने बखूबी काबिल-ए-तारीफ़ सजाया। नाट्य निर्माण की प्रक्रिया में राजकुमार रजक का मार्गदर्शक रहा। सहायक रिमझिम,आशीष,सौम्य और अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के विकास चंद्र रॉय,देवेंद्र जोशी,नरेंद्र जाट रहे।