444 साल बाद इलाहाबाद को ​मिला पुराना नाम

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।  इसके साथ ही 444 साल बाद एक बार फिर प्रयागराज को उसका अपना पुराना नाम मिल गया। इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज किए जाने को लेकर वर्षों से मांग चली आ रही थी। यूपी की सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने इस मांग पर ध्यान केंद्रित किया। नाम बदलने की तैयारी 2018 के माघ मेले में हुई।
सरकार ने माघ मेले के दौरान कुंभ मेले की ब्रांडिंग प्रयागराज के नाम से कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। इसके बाद योगी सरकार ने माघ मेले और कुंभ मेले के आयोजन के लिए जिस प्राधिकरण का गठन किया, उसका नाम भी प्रयागराज मेला प्राधिकरण रखा। प्रयागराज किए जाने का ममाला साधु-संतों ने विश्व हिन्दू परिषद की धर्म संसद में भी उठाया। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समय आने पर इस मामले में निर्णय होने की बात कही।
यूपी सरकार की मांग को पहले राज्यपाल राम नाईक से सहमति मिली। मंगलवार को कैबिनेट बैठक में इलाहाबाद से प्रयागराज करने का प्रस्ताव पास हो गया है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की वजह से इसे ऐतिहासिक रूप से तीर्थराज प्रयाग भी कहते हैं। रामचरित मानस जैसे पौराणिक ग्रंथों में भी प्रयागराज का जिक्र है।
कहा जाता है कि कभी संगम के ही जल से देश के तमाम राजाओं-महाराजाओं का अभिषेक हुआ करता था। समय बीता और मुगलों का शासन आया। मुगल बादशाह अकबर ने 444 साल पहले 1574 में प्रयागराज का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया। कालांतर में ये नाम इलाहाबाद हो गया।
इसका जिक्र अकबरनामा और आईने अकबरी में भी किया गया है। वैसे धर्म के केंद्र के अलावा इलाहाबाद पढ़ाई के साथ राजनीति का भी अहम केंद्र रहा। आजादी से पहले जहां जवाहर लाल नेहरू की जन्मस्थली होने के कारण यहां स्थित आनंद भवन आजादी की लड़ाई और सत्ता के केंद्र में रहा।